आंतों में सूजन के लिए होम्योपैथिक दवा

 आंतों में सूजन के लिए होम्योपैथिक दवा

आज के इस लेख में हम ऐसे गम्भीर रोग के बारे में जानकारी देंगें जिसके बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना ही नहीं कि जा सकती है।जी हां आज हम आंतों में सूजन के लिए होम्योपैथिक दवा के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगें।

आंतों में सूजन के लिए होम्योपैथिक दवा

आँतों में सूजन जिसे मेडिकल की भाषा में अल्सरेटिव कोलाइटिस भी कहते हैं।यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है।

जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही आँतों के स्तर की स्वस्थ कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने लगती है।जिसके कारण बड़ी आंत और मलाशय में घाव हो जाता है।

जिससे आँतों और मलाशय में जलन और खून आने की समस्या उत्तपन्न हो जाती है।आगे चलकर यही बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस में बदल जाती है।

जिसके कारण शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने लगतें हैं

आंतों में सूजन (अल्सरेटिव कोलाइटिस)के लक्षण| Aanto me sujan ke lakshan

•  हमेशा पेट में हल्का-हल्का दर्द बना रहना।

•  खाना खाने की इच्छा बिल्कुल न होना।

•  खाने की गंध से जी मिचलाने लगना।

•  कोई काम करने का मन न करना।

•  हमेशा हल्का-हल्का बुखार बने रहना।

•  खून की कमी के कारण चक्कर आना।

•  शौच लगने पर तनिक भी देरी सहन न होना।

•  कभी-कभी मल के साथ खून आना।

•  कब्ज होना।

•  शरीर का वजन लगातार कम होते जाना।

•  खाना-खाने के बाद भोजन का अच्छी तरह से डाइजेस्ट न होना।

•  लिवर में सूजन हो जाना।

•  आँखों से धुंधला दिखाई देना और तेज रोशनी को बर्दाश्त नहीं कर सकना।

•  त्वचा पर खुजली होना।

आदि आंतों में सूजन( अल्सरेटिव कोलाइटिस)होने के प्रमुख लक्षण हैं।

आँतों में सूजन होने के कारण|Aant me sujan ka karan

आँतों में सूजन होने का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। पहले लोग खान-पान, और तनाव को इसका कारण मानते थे, लेकिन अब डॉक्टर कहते हैं कि ये कारक इसे बढ़ा सकते हैं, लेकिन डॉक्टरों ने यह सिद्ध कर दिया है कि केवल यहीं सब कारक इसका जिम्मेदार नहीं हैं। कुछ और भी कारक जिम्मेदार होता है जो निम्नलिखित है।

•  आँतों में सूजन होने का एक प्रमुख कारण प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी है।जिसमें अपनी ही प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही आँतों के स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करके उसे नुकसान पहुचाने लगती हैं।

•  परिवार में यदि किसी व्यक्ति को आँतों में सूजन(अल्सरेटिव कोलाइटिस) की बीमारी है तो उस परिवार के अन्य सदस्य को अल्सरेटिव कोलाइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है।

• यदि किसी कारण से शरीर में पित्त बढ़ जाये तो अल्सरेटिव कोलाइटिस की समस्या हो सकती है।

• खराब जीवन शैली और तनावपूर्ण जीवन से अल्सरेटिव कोलाइटिस हो सकता है।

आंतों में सूजन की होमियोपैथिक दवा |Aant me sujan ki homeopathic dawa

आँतों में सूजन होना एक गम्भीर बीमारी है।इस लिए कोई भी होमियोपैथिक चिकित्सक रोगी के रोग और लक्षणों को ध्यान में रखकर ही होमियोपैथिक दवा का चुनाव करता है।

 इस लिए इस रोग का इलाज किसी अच्छे होमियोपैथिक चिकित्सक की देख-रेख में ही कराना चाहिए।तो आइये जानते हैं अल्सरेटिव कोलाइटिस की होमियो पैथिक दवा के बारे में पूरी जानकारी।

Aloe Socotrina(एलो साकोट्रिना)

यह दवा एलोवेरा नामक पौधे से बनाई जाती है।यह दवा उन लोगों के लिए लाभ करती है।जिन्हें सुबह विस्तर से उठते ही पखाने की ओर दौड़कर जाना पड़ता है।

इसके अलावां खाना खाते समय पखाना लग जाना और पखाना लगते ही उसे एक मिनट के लिए रोक न सकना,अनजान में पखाना हो जाना,पेशाब करते समय मल का अनजान में निकल पड़ना।

नाभि के चारों ओर हमेशा दर्द बने रहना,पखाना होने से पहले पेट में गड़गड़ाहट होनाआदि लक्षण रहने पर आंतों में सूजन के लिए एलो साकोट्रिना के प्रयोग से फायदा होता है।

Podophylum(पोडोफाइलम)

यह दवा छोटी तथा बड़ी आंत में होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों और पाचन तंत्र गड़बड़ी को ठीक करने के लिए प्रयोग में लायी जाती है।

यह दवा उन रोगियों के लिए ज्यादा फायदा करती है।जिन्हें बिना दर्द के ज्यादा मात्रा में दस्त आता है।

उसके बाद फिर से पेट भरा हुआ मालूम होता है। और पखाना होने से पहले पेट में जोर की गड़गड़ाहट होती है।

Veratrum Album(वेरेक्टम एल्बम)

यह दवा दस्त के साथ होने वाले पेट के दर्द में फायदा करती है।जरा सा हिलने-डुलने या पानी पीने के कारण होने वाले उल्टी में इस दवा के प्रयोग से तुरंत लाभ होता है।

उल्टी और दस्त के बाद बहुत अधिक कमजोरी और माथे पर ठंडे पसीने के होना इसका विशेष लक्षण है।

Belladonna(बेलाडोना)

यह दवा खड़िया मिट्टी जैसे होने वाले पतले दस्त,खून मिले आंव,लसदार आंव,सफेद आंव और   ऐंठन के साथ होने वाले पेट दर्द,जलन, बुखार आदि अनेकों प्रकार की समस्याओं में इस दवा के उपयोग से फायदा होता है।

Aconite Napellus(एकोनाइट नेपल्स)

इस दवा मेंआंतों में सूजन की पहली अवस्था में रोगी को रक्त मिला सफेद आंव के साथ पखाने की मात्रा बहुत थोड़ी रहे,पखाना बहुत जल्दी-जल्दी हो,पखाने के समय पेट में मरोड़ और दर्द हो तो एकोनाइट नेपल्स के प्रयोग से लाभ होता है।

Baptisia Tinctoria( बैप्टीशिया टिंक्टोरिया)

यह दवा उन लोगों में ज्यादा फायदा करती है जो बहुत दिनों तक टाइफाइड रोग भोगने के कारण आँतों में सूजन व घाव हो जाने,बदबूदार पतला पखाना होने,और हमेशा कब्ज बना रहना आदि समस्याओं से परेशान रहते हैं उनके आँतों के सूजन के लिए यह होमियोपैथिक दवा फायदा करती है। 

Arsenicum Album(आर्सेनिकम एल्बम)

यह दवा पेट में मरोड़ के साथ दर्द होने,खून शुदा आंव आने,जाड़ा देकर बुखार आने,मिचली,पेट में जलन होने,दुर्गन्ध युक्त पखाना होने के साथ बार बार प्यास लगने आदि लक्षणों आर्सेनिकम एल्बम के प्रयोग से फायदा होता है।

 Merc Solubilis(मर्क साल)

यह दवा आँतों के पेचिश की बीमारी के लिए सबसे अच्छी दवाओं में से एक है।इस दवा में आंव मिले दस्त आते हैं जो बहुत कम मात्रा में और जल्दी-जल्दी आते हैं।

पखाना होने के पहले पेट में मरोड़ का दर्द होता है।जो पखाना होने के बाद भी जारी रहता है।

Nux Vomica(नक्स वोमिका)

इस दवा में रोगी को बार बार मल त्याग के लिए जाना पड़ता है लेकिन पखाना खुलकर नहीं होता है।रोगी बहुत देर तक पखाने में बैठा रहता है।

पखाने के पहले और पखाने के समय पेट में बहुत तेज दर्द होता है।रोगी को मल के साथ कभी खून के साथ आंव तो कभी केवल सफेद आंव ही आता है।

अतिसार के साथ मिचली और वमन का भाव रहने पर भी नक्स वोमिका के उपयोग से फायदा होता है।

Hydrastis Canadensis(हाइड्रैस्टिस)

यह कब्ज को दूर करने के लिए एक अमोघ औषधि है।इसमें रोगी को कभी कब्ज कभी अतिसार कभी आंव जैसा लसदार पखाना होता है।

कभी गांठ शुदा कड़ा मल निकलता और उसमें कभी गोंद जैसा म्यूकस लिपटा रहता है।इस प्रकार के लक्षणों में आंतों में सूजन के लिए यह होम्योपैथिक दवा फायदा करती है।

इस लेख में आपने जाना आंतों में सूजन के लिए होम्योपैथिक दवा के बारे में पूरी जानकारी।

 आंतों की सूजन का होमियोपैथिक इलाज के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके हमें जरूर बताएं। यदि जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की healthsahayata.inपुष्टि नहीं करता है, इनको केवल सुझाव के रूप में लें, इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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