शुगर में बबूल की फली

 शुगर में बबूल की फली

जिस प्रकार आयुर्वेद में विभिन्न पेड़ पौधों और फल,फूलों एवं छालों का उपयोग अनेक प्रकार के रोगों के इलाज में किया जाता है ठीक उसी प्रकार शुगर में बबूल की फली का उपयोग किया जाता है।
शुगर में बबूल की फली

बबूल एक मरुभूमि में उगने वाला पेड़ है जो भारत में लगभग हर जगह पाया जाता है।इसकी पत्तियां बहुत छोटी-छोटी होती हैं।इसमें जाड़े के दिनों में गुच्छेदार पिले रंग के फूल लगतें है।और मार्च-अप्रैल के महीने में इसमें फलियां लगती हैं।आयुर्वेद में इसके फलियों का उपयोग शुगर के इलाज,घुटनों के दर्द,जोड़ो के दर्द आदि में किया जाता है।

बबूल की फली का सेवन कैसे करें?

बबूल की फली का लाभ(फायदे)जानने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि बबूल की फली का सेवन कैसे करें? तो इसके लिए बबूल की फली को निम्नलिखित तरीके से प्रयोग कर सकते हैं।
बबूल की फली का आचार बनाकर
बबूल की फली का सब्जी बनाकर
बबूल की फली का चूर्ण बनाकर
उपरोक्त दोनों विधियों द्वारा इसके फली को पूरे वर्ष उपयोग में नहीं लाया जा सकता है।क्यों कि इसकी फली विशेष मौसम में ही उपलब्ध होती है।बबूल की फली को पूरे वर्ष भर उपयोग में लाने के लिए इसकी  फली का चूर्ण बनाकर रखा जा सकता है।

बबूल की फली का चूर्ण बनाने की बिधि

इसके लिए आप सबसे पहले बबूल की कोमल फलियों को तोड़कर इकठ्ठा कर लें।बबूल की पकी हुई फलियां न तोड़े क्योंकि पकी हुई फलियां बहुत ही कठोर होती हैं जो कि चूर्ण बनाने में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं। इस लिए चूर्ण बनाने के लिए हमेशा कोमल और कच्ची फलियों का ही प्रयोग करें।
कोमल फलियों को इकठ्ठा करने के बाद उसे साफ पानी से अच्छी तरह धोकर लगभग 6 से 7 दिनों तक छाया में सुखा लें।और इसके बाद उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लें। फिर उसे मिक्सी में डालकर खूब अच्छी तरह से बारीक पीस लें।
पीसने के बाद उसे छन्नी या कपड़े की सहायता से छानकर मोटे या दरदरे भाग को अलग करके फिर से उसे मिक्सी में डालकर पीस लें और उसे कपड़े से छान लें।
अब आपका बबूल की फली का चूर्ण बनकर तैयार है अब इसे किसी एयरप्रूफ़ डिब्बे में भरकर रख दें।और आवश्यकता पड़ने पर उसका प्रयोग करें।

बबूल की फली के लाभ

आयुर्वेद में बबूल की फलियों का उपयोग बहुत से बीमारियों के इलाज में किया जाता है।इसके सेवन के निम्नलिखित लाभ होते हैं।

 हड्डियों को मजबूत बनाने में

बबूल की फली में कैल्सियम, मैग्नीशियम,पोटैशियम, शर्करा और आरबिक एसिड आदि पोषक तत्त्व पाया जाता है।जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।

दांतों के दर्द में

दाँतों में दर्द होने पर बबूल की फली को जलाकर राख बना लें और उस राख से दांत साफ करने से दाँतों के दर्द में आराम मिलता है।

खून की कमी में

इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है।खून की कमी को दूर करने के लिए एक-एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ इसका प्रयोग करें।

बालों के झड़ने में

इसके फली में पर्याप्त मात्रा में विटामिन E और C पाया जाता है जो बालों को मजबूत बनाने के साथ-साथ बालों को रूसी और झड़ने से बचाता है।इसके लिए एक-एक चम्मच की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

बबासीर में(पाइल्स)

जिन लोगों को वबासीर की शिकायत होती है उन्हें एक-एक चम्मच की मात्रा सुबह-शाम मठ्ठे के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

अतिसार और पेट के दर्द में

अतिसार और पेट के दर्द में सुबह-शाम एक-एक चम्मच की मात्रा में सेवन करने से बहुत दिनों के पुराने अतिसार और पेट दर्द में लाभ होता है।

आधाशीशी(सिर) के दर्द में

जिन लोगों को अधकपारी का दर्द होता है उनके लिए बबूल की फली बहुत ही फायदे मन्द होता है।
इसके लिए एक-एक चम्मच सुबह-शाम बबूल की फली के चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है।

सर्दी-खाँसी में

बबूल की फली के चूर्ण का आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से सर्दी-खाँसी में लाभ होता है।

प्रदर रोग में

जिन महिलाओं को ल्युकोरिया या प्रदर रोग की समस्या होती है उनके लिए बबूल की फली का चूर्ण गाय के दूध के साथ एक-एक चम्मच की मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है।
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मासिकधर्म के दर्द में 

जिन महिलाओं को मासिकधर्म के समय दर्द और अधिक खून जाने की शिकायत होती है उनके लिए बबूल की फली का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है।

स्वप्नदोष में

स्वप्नदोष को जड़ से दूर करने के लिए बबूल की फली बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसके लिए एक-एक चम्मच की मात्रा में इस चूर्ण का सेवन गाय के दूध के साथ करने से लाभ होता है।
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घुटनों के दर्द में बबूल की फली

 जिन लोगों को घुटनों में हमेशा दर्द होता रहता है।डॉक्टर बोलते हैं कि घुटने की चिकनाई खत्म गो गयी है।उन लोगों को बबूल की फली के चूर्ण का सेवन वहुत ही लाभकारी होता है।
इसके लिये बबूल की फली के चूर्ण में चौथाई मात्रा में मिश्री को मिलाकर एक – एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है।यह प्रयोग कम से कम 3 महीनें तक लगातार करें।
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बबूल की फली और मिश्री के फायदे

बबूल की फली के चूर्ण को मिश्री के साथ खाने से बहुत से रोगों को दूर किया जा सकता है।तो आइए जानते हैं कि बबूल की फली और मिश्री से किन-किन रोगों में फायदा होता है।

शरीर की कमजोरी को दूर करने में

बबूल की फली में कैल्शियम, आयरन,पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो शरीर मे आयी कमजोरी और खून की कमी को दूर करने में सहायक होता है।
इसके लिए बबूल की फली के पाउडर में मिश्री मिलाकर सेवन करें।

धातुगत कमजोरी को दूर करने में

बबूल की फली धातुगत कमजोरी,स्वप्नदोष और वीर्य का पतला पड़ जाना आदि बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।इसके लिए बबूल की फली और मिश्री को मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें।

दस्त और पेट दर्द में

जिन लोगों को बार बार दस्त आते रहते हैं और पेट में दर्द होता रहता है।उनके लिए बबूल की फली और मिश्री का सेवन बहुत बहुत ही लाभकारी होता है।

टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में

यदि आपको किसी कारण से चोट लगकर आपकी हड्डियां टूट गयी हो और वह जल्दी से नहीं जुड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में बबूल की फली का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है।
इसके लिए बबूल की फली को पीसकर उसमें मिश्री को मिलाकर सुबह-शाम उसका सेवन करें।आप की टूटी हुई हड्डियां बहुत जल्द जुड़ जाएगी।

शुगर में बबूल की फली

जिन लोगों को शुगर की बीमारी होती है उनके लिए बबूल की फली का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है इसके लिये बबूल की फली के चूर्ण को सुबह-शाम एक-एक चम्मच की मात्रा करना चाहिए।

इस लेख में आपने जाना कि शुगर में बबूल की फली,बबूल की फली और मिश्री के फायदे,घुटनों के दर्द में बबूल की फली,बबूल की फली के लाभ,बबूल की फली का चूर्ण बनाने की बिधि आदि के बारे में पूरी जानकारी
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धन्यवाद।

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