चिरायता कितने दिन पीना चाहिए: Chirata Kitne Din Pina Chahiye

 चिरायता कितने दिन पीना चाहिए: Chirata Kitne Din Pina Chahiye

आयुर्वेदिक दवाओं में चिरायता को एक बहुउद्देश्यीय औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।क्योंकि चिरायता को लगभग सभी प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में प्रयोग किया जाता है।

फिर चाहे वह पेट के कीड़े मारने की,ब्लड में शुगर को कंट्रोल करने की,टाइफाइड या मलेरिया बुखार को दूर करने की या फिर लिवर से सम्बंधित दवाओं को बनाने में चिरायता का क़ुछ न क़ुछ प्रयोग अवश्य किया जाता है।

चिरायता में एंटीएलर्जिक, एंटीफंगल, एंटीडायबिटिक,एंटीऑक्सीडेंट आदि गुण पाया जाता है।जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ रोगों से लड़ने में मददगार होता है।

चिरायता का टेस्ट बहुत ही कड़ुआ होता है।यदि इसके कडुआहट को नजरअंदाज कर दिया जाए तो इसके सेवन से होने वाले फायदे बहुत से हैं।तो आइए जानते हैं कि चिरायता कितने दिन पीना चाहिए और इसके सेवन से किन-किन बीमारियों में फायदा होता है

चिरायता के फायदे -Chirata ke fayde

चिरायता का प्रयोग निम्नलिखित रोगों के उपचार में किया जाता है।

खून की कमी को दूर करने में

खून की कमी होने पर चिरायता का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है क्योंकि

चिरायता में विटामिन्स और हेमाटिनिक (Haematinic) नामक खनिज पदार्थ पाया जाता है ।जो शरीर में होने वाले खून की कमी दूर करने में सहायक होता है।

ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में

वर्तमान समय में शुगर एक महामारी का रूप लेता जा रहा है।क्योंकि पूरी दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति इस महामारी से ग्रस्त है।इस बीमारी से बचने के लिए चिरायता का सेवन बहुत लाभदायक होता है।क्योंकि चिरायता में अमारोगेंटिन (Aamarogentin)नामक रसायन पाया जाता है जो एंटीडायबिटिक प्रभाव छोड़ता है इस लिए कहा जा सकता है कि शुगर में चिरायता के फायदे शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। 

रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में

जिनकी रोग से लड़ने की शक्ति कम होती है उनके लिए चिरायता का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है।क्योंकि चिरायता में मैग्निफेरिन बायोएक्टिव कंपाउंड पाया जाता है।जो शरीर की इम्युनिटी पावर को बढ़ाने में मदद करता है।

बुखार में चिरायता

भारत और नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला चिरायता आयुर्वेद में बुखार की एक रामबाण औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।यह एलोपैथी में बुखार के लिए प्रयोग किये जाने वाले कुनैन की गोली से अधिक प्रभावशाली औषधि है।पहले के समय में इसे लोग सुखाकर अपने घरों में रखते थे।लेकिन आजकल यह मार्केट में बना बनाया भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है।लेकिन आप चाहे तो चिरायता को घर पर भी बना सकते हैं।इसे बनाने के लिए-

100 ग्राम नीम के पत्ते

100 ग्राम तुलसी के पत्ते

100 ग्राम चिरायता की पत्ती एवं टहनी  

 इन तीनों को आपस में मिलाकर छाया में अच्छी तरह से सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर रख लें।और बुखार होने पर सुबह-शाम एक-एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ इस चूर्ण का सेवन करें।

यह प्रयोग कुछ दिनों तक लगातार करने से चाहे कितना ही पुराना बुखार हो बिल्कुल जड़ से दूर हो जायेगा।

 बुखार न होने की स्थिति में भी आप इस चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।इस चूर्ण के प्रयोग से खून का शुद्धिकरण होता है,लिवर सम्बन्धी विकार दूर हो जाते हैं, पाचन शक्ति मजबूत होती है, रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और ब्लड में शुगर की मात्रा कंट्रोल में रहती है।

कुटकी चिरायता पीने के फायदे

आयुर्वेद में बहुत सी ऐसी जड़ी बूटियां हैं जिसका प्रयोग आदि काल से विभिन्न रोगों के इलाज में होता आ रहा है।ये जड़ी-बूटियां पहाड़ों में अतिदुर्गम स्थानों पर पायी जाती हैं।उन्हीं जड़ी बूटियों में के से एक है कुटकीऔर चिरायता जिसका उपयोग आयुर्वेद में सोराइसिस, बुखार,वजन कम करने,पीलिया,खून को साफ करने आदि बीमारियों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।

चिरायता की तासीर

चिरायता एक त्रिदोषनाशक (वात, पित्त,कफ)औषधि है।चिरायता की तासीर गर्म होती है।इस लिए जाड़े के मौसम में इसका प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है।

चिरायता पीने का तरीका

आयुर्वेद में चिरायते का प्रयोग बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।इसे निम्न तरीके से उपयोग किया जा सकता है।

चिरायता का चूर्ण बनाकर गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ पिया जा सकता है।

चिरायता का काढ़ा बनाकर भी पिया जा सकता है।

चिरायता कितने प्रकार का होता है?

विश्व भर में चिरायता की लगभग 180 प्रजातियां पायी जाती हैं।भारत में लगभग 37 प्रकार के चिरायता की प्रजातियां पायी जाती हैं।जिनमें से हरे और भूरे रंग के चिरायता का प्रयोग औषधि के रुप में किया जाता है।हरे रंग का चिरायता भारत में हिमांचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है।जबकि भूरे रंग का चिरायता नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है।

चिरायता का उपयोग कैसे करें?

चिरायता स्वाद में बहुत ही कड़ुआ होता है।लेकिन विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।तो आइए जानते हैं कि चिरायता कितना पीना चाहिए अर्थात चिरायता का उपयोग कैसे करें?

चूर्ण बनाकर चिरायता का उपयोग

चिरायता के चूर्ण को 1से 3 ग्राम की मात्रा में विभाजित करके दिन में दो बार लेने से शुगर, टाइफाइड, मलेरिया बुखार, कुष्टरोग,पीलिया और पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों में फायदा होता है।

काढ़ा बनाकर चिरायता का उपयोग

50 से 100 मिली कि मात्रा में चिरायता के काढ़े को दिन में दो बार विभाजित करके लेने से टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू बुखार आदि रोगों में तुरंत आराम मिलता है।

पेस्ट बनाकर चिरायता का उपयोग

चिरायता में सूजन और दर्द को दूर करने का गुण पाया जाता है।शरीर में जहां कहीं भी सूजन और जलन हो रही हो उस स्थान पर चिरायता का पेस्ट बनाकर लगाने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।

चिरायता का काढ़ा बनाने की विधि

चिरायता का काढ़ा बनाने के लिए 25 ग्राम सूखा चिरायता लें,और उसे 500 मिली पानी में बहुत ही धीमी आंच पर उसे इतना उबालें की पानी आधा रह जाय,अब उसे आंच से उतारकर ठंडा करके छान लें अब चिरायता का काढ़ा बनकर तैयार हो गया है।उसे किसी एयरप्रूफ़ शीशी में भरकर रख लें।

चिरायता होमियोपैथी

होमियोपैथी में चिरायता का सर्वप्रथम प्रयोग डॉ कालीकुमार भटटाचार्य जी ने किया था।तभी से होमियोपैथी में बुखार के लिए इसका प्रयोग बहुत ही धड़ल्ले से किया जाता है।
यह एक ज्वर को ठीक करने वाली औषधि है।पुराने और जीर्ण बुखार में यह दीर्घकाल से उपयोग होता आ रहा है।चिरायता ज्वर एवं कृमिनाशक औषधि है।
ज्वर में जहाँ पर कुनैन के प्रयोग से ज्वर बन्द नहीं होता है वहाँ पर चिरायता होमियोपैथी के प्रयोग से बहुत लाभ होता है।

चिरायता होमियोपैथी के लक्षण

पूरे सिर में दर्द और माथे में खिंचाव मालूम होना।
सिर में तेज दर्द और आँखों में जलन होना।
सबेरे मुँह का स्वाद अत्यंत कडुआ होना।
पेट में गैस बनना, दिन भर में 3-4 बार पतला दस्त होना।
लिवर की जगह पर दर्द होना।
पैरों में ऐंठन की तरह दर्द होना।
शीत की अवस्था में मिचली आना व पित्त मिला श्लेष्मा का वमन होना।आदि चिरायता होमियोपैथी के प्रमुख लक्षण हैं।

चिरायता कितने दिन पीना चाहिए

आयुर्वेद के परम विद्वान डॉ•राजीव भाई दीक्षित के अनुसार किसी भी आयुर्वेदिक दवा का सेवन लगातार तीन महीनों से ज्यादा नहीं करना चाहिए।इसके बाद एक महीनें के लिए बंद कर देना चाहिए।इसके बाद पुनः शुरू किया जा सकता है।
इस लेख में आपने जाना कि चिरायता कितने दिन पीना चाहिए, चिरायता के फायदे,कुटकी और चिरायता पीने के फायदे,बुखार में चिरायता के फायदे,चिरायता का उपयोग कैसे करें, चिरायता का काढ़ा बनाने की विधि आदि के बारे में पूरी जानकारी।
हमें उम्मीद है कि यह जानकारी अच्छी लगी होगी।यदि जानकारी अच्छी लगे तो कृपया कमेंट और शेयर जरूर करें।
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