धातु रोग की होम्योपैथिक दवा | Dhatu Rog Ki Homeopathic Dawa

 धातु रोग की होम्योपैथिक दवा,कारण,लक्षण और परहेज

धातु रोग यानी कि स्पर्मटोरिया जिसे हिंदी में शुक्रमेह भी कहते हैं।यह नवयुवकों में होने वाली एक बहुत ही गम्भीर बीमारी है।इसमें पेशाब करने के पहले या अंत में पेशाब के साथ वीर्य निकलता है जिसे आम बोल-चाल की भाषा में धातु रोग या स्पर्मटोरिया कहते हैं।

Dhatu Rog Ki Homeopathic Dawa
Dhatu Rog Ki Homeopathic Dawa

हेल्थ सहायता के इस लेख में आप जानेंगे कि धातु रोग क्या होता है?,धातु रोग क्यों होता है?,धातु रोग के लक्षण,धातु रोग में परहेज और धातु रोग की होमियोपैथिक दवा के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से-

धातु रोग क्या होता है?/धातु रोग क्या है?

धातु रोग पुरुषों में होने वाली एक प्रकार की बीमारी है।जो ज्यादातर नवयुवकों में देखी जाती है।

इसमें रोगी को स्वप्न या जाग्रत अवस्था में, पखाना करते हुए काँखते समय, पेशाब करने से पहले या बाद में किसी भी समय बिना पता चले,शुक्र का स्खलन होना एक प्रकार की बीमारी है जिसे अंग्रेजी में स्पर्मटोरिया और हिंदी में धातु रोग या शुक्रमेह कहते हैं।

रात को या दिन में स्वप्नदोष होना भी धातु रोग के ही अन्तर्गत आता है। चाहे जो भी हो यह बीमारी आज-कल बहुत से लोगों में पाई जाती है।इससे उनकी शारिरिक और मानसिक शक्ति का धीरे धीरे लोप हो जाता है।

धातु रोग क्यों होता है?

ज्यादातर लोगों को यह बीमारी उनके अपने ही दोष से हो जाती है।जो लोग जवानी की अवस्था में अत्यधिक इन्द्रिय का दुरुपयोग, स्त्री संगम,हस्थमैथुन, स्वप्नदोष आदि कारणों से अपने वीर्य को पतला करके नष्ट कर दिया करते हैं,उनकी जीवनी शक्ति कमजोर हो जाती है,स्नायु मण्डल क्षीण हो जाता है।

जिसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति की वीर्य धारण करने की शक्ति नष्ट हो जाती है और थोड़ी सी भी उत्तेजना होते ही चाहे दिन हो या रात बिना अनुभूति के वीर्यस्खलन हो जाता है, जिसे सामान्य बोल-चाल की भाषा में धात का गिरना कहते हैं।

ऊपर बताये गए कारणों के अलावां धातु रोग होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।

• हमेशा मोबाइल में अश्लील फोटो व फिल्में देखना।

• हमेशा कामुक बातें करना।

• हमेशा बुरे लोगों के साथ रहना।

• पेट में हमेशा कब्ज बना रहना।

• आंतों में कृमि होना।

• अनेक प्रकार की शरीर को कमजोर करने वाली बीमारी होना।

• शारिरिक कमजोरी।

• पेशाब से सम्बंधित रोग जैसे प्रमेह आदि।

• अधिक समय तक युवती स्त्री के साथ समय बिताना।

इत्यादि कारणों से भी धातु रोग की बीमारी हुआ करती है।

धातु रोग के लक्षण

धातु रोग नवयुवकों में होने वाली बहुत ही गम्भीर बीमारी है।इस रोग के शुरुआत में पहले दिन या रात को निद्रित अवस्था में स्वप्न में वीर्यस्खलन होता है।

जिससे धातु पतली हो जाती है,और बिना अनुभूति के उसका स्खलन होने लगता है।कभी कभी  किसी स्त्री को देखते या उसके बारे में ख्याल आते ही शुक्र स्खलन हो जाता है।

पेशाब या पखाना करते समय धातु निकलने लगता है। जिससे रोगी बहुत ही कमजोर हो जाता है।किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता है, यादाश्त बहुत ही कमजोर हो जाती है।

रोगी किसी भी विषय पर ठीक तरह से विचार नहीं कर सकता है,आँखों के नीचे काले घेरे पड़ जाते हैं, चेहरे की चमक कम हो जाती है, बाल असमय में सफेद होने लगते हैं,कब्ज और बवासीर की बीमारी हो जाती है।

रोगी मानसिक रूप से इतना कमजोर हो, जाता है कि किसी के मुँह की तरफ साहस पूर्वक देख नहीं सकता है,जीवन से निराश हो जाता है, हमेशा एकांत में अकेला रहना चाहता है और किसी किसी को नपुंसकता की बीमारी हो जाती है।

धातु रोग में परहेज

धातु रोग सिर्फ दवाओं के सेवन से दूर होने वाली बीमारी नहीं है।इसे दूर करने के लिए पहले इस बात का पता लगाना चाहिए कि आखिर यह बीमारी हुई किस कारण से है।

यदि इस बीमारी का कारण हस्थमैथुन, बहुत ज्यादा स्त्री संगम,विलासिता,पोर्न फिल्म,उत्तेजक मांस,अण्डे, गरम मसाले,अत्यधिक चिंता,बुरी संगति और ज्यादा सोने के कारण हुई हो तो इन सब आदतों को तुरंत त्याग देना चाहिए।

रोज सुबह नंगे पांव टहलना और शारिरिक क्षमता के अनुसार व्यायाम करना,रात को सोने से पूर्व ठण्डे पानी से हाथ-पैरों को धोना और तम्बाकू,शराब आदि बुरी आदतों को छोड़ देने से यह बीमारी जल्दी आराम हो जाती है।

धातु रोग में क्या खाएं?

यह रोग नवयुवकों में होने वाली एक आम बीमारी है।जो खान-पान की गड़बड़ी और बुरी आदतों के कारण हो जाती है।

यदि रोगी खाने पीने की चीजों पर ध्यान दे तो बहुत हद तक इस रोग को  काबू में किया जा सकता है।

तो आइये जानते हैं कि धातु रोग के रोगी को किन-किन चीजों का सेवन अत्यंत लाभकारी होता है।

इसमें रोगी को हल्का सुपाच्य भोजन,पके फल,बादाम,पिस्ता,किशमिश,मुनक्का, खजूर,गोंद कतीरा,कच्चा साबूदाना भिगोकर मिश्री या चीनी के साथ, तालमखाना, हरी सब्जियां, छोटी मछ्ली, दूध,घी और मठ्ठे का सेवन अत्यंत लाभकारी होता है।

धातु रोग की होम्योपैथिक दवा

एसिड फास

यह दवा पुराने धातु के रोगी के लिए बहुत ही लाभकारी है।इसमें रोगी को शरीर में कमजोरी, लिंग ढीला व छोटा होना,लिंग के टाइट होते ही बहुत ही कम समय में वीर्यस्खलन और थकावट,पेशाब दुधिया रंग का होना आदि लक्षणों में एसिड फास 200 होम्योपैथिक दवा फायदा करती है।

डिजिटेलिस

यह दवा उन धात के रोगियों के लिए ज्यादा फायदा करती है जिन्हें स्वप्न देखकर या बिना स्वप्न देखे स्वप्नदोष होता है, बिना अनुभूति के वीर्यस्खलन,कमजोरी,छाती धड़कना इत्यादि लक्षणों में डिजिटेलिस होमियोपैथिक दवा फायदा करती है।

इसकी विचूर्ण दवा चौथाई ग्रेन की मात्रा में पानी के साथ रोज एक बार सेवन करने से लाभ होता है।

स्टेफिसेगरिया

यह दवा उन धात के रोगियों के लिए ज्यादा फायदा करती है जो हद से ज्यादा हस्थमैथुन और शुक्रक्षय करके बहुत कमजोर हो गए हैं। रोगी शदा अश्लील बातों को सोचा करता है।

रात को स्वप्नदोष हो जाता है, आखों के चारों तरफ काले धब्बें पड़ गए हो,रोगी किसी से नजरें मिलाकर बात नहीं कर सकता है।

पीठ कमजोर, पीठ में दर्द और सेक्स करने के बाद हांफने लगता है आदि लक्षणों में स्टैफिसैग्रीया होमियो पैथिक दवा फायदा करती है।

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कैलेडियम होम्योपैथिक दवा के फायदे

डायोस्कोरिया मदर टिंचर

डॉक्टर फैरिंगटन कहते हैं कि यह दवा धात के उन रोगियों के लिए ज्यादा फायदा करती है। जिन्हें बिना उत्तेजना के ही वीर्यस्खलन हो जाता है।

इसमें रोगी के जननांग इतने ढीले हो जाते हैं कि रोगी को एक ही रात में दो-तीन बार वीर्यक्षय (स्वप्नदोष) हो जाता है।अगले दिन रोगी अपने को बहुत ही कमजोर और अशक्त अनुभव करता है।

यह कमजोरी ज्यादातर घुटनों में होता है।डॉक्टर फैरिंगटन कहते हैं कि उपरोक्त लक्षणों में इससे बढ़कर होमियोपैथिक में दूसरी दवा नहीं है।

सेलेनियम

डॉक्टर फैरिंगटन कहते हैं कि स्वप्नदोष और वीर्यपात के लिए यह औषधि अमृत के समान गुणकारी है।लगभग 95℅ रोगी इसी दवा से ठीक हो जाते हैं।

इस दवा में वीर्य-स्राव तो शीघ्र हो जाता है परन्तु इसकी अनुभूति बहुत देर तक बनी रहती है,अर्थात वीर्य-स्राव होने के बाद बहुत देर तक वीर्य टपकता रहता है।

जननांगों पर इस औषधि का विशेष प्रभाव है।होम्योपैथी में अत्यधिक संगम,हस्थमैथुन आदि कुकर्मों से होने वाले दोषों में इस दवा का प्रयोग किया जाता है।

इस दवा में रोगी सेक्स सम्बंधित कुकर्मो से इतना कमजोर हो जाता है कि कोई भी शारीरिक अथवा मानसिक कार्य नहीं कर सकता है।

साइलीशिया

यह दवा उन लोगों के लिए ज्यादा फायदा करती है जिन्हें कब्ज के कारण पखाने में जोर लगाते वक्त धातु गिरता है।

बैराइटा कार्ब

डॉक्टर पर्सी वाईल्ड कहते हैं कि स्वप्नदोष के बाद अगर  बहुत कमजोरी महसूस हो,हृदय की धड़कन बढ़ जाय और स्नायविक शिथिलता हो तो यह औषधि तुरन्त अपना असर दिखाती है।

थूजा मदर टिंचर

डॉक्टर सी०डब्ल्यू रोबर्ट्स कहते हैं कि धातु रोग पर नियंत्रण पाने के लिए होमियोपैथिक में जितनी भी दवाएं हैं उसमें सबसे अधिक प्रभावशाली इसी दवा को पाया है।

वे कहते हैं कि धातु रोग के शिकायत में वे इस औषधि  की 5 बूंद देते थे और रोगी दूर-दूर से उनके पास इस रोग के इलाज लिए आते थे और उन सबको इस दवा से फायदा होता था।

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बुफो राना Q

इसमें रोगी को अपने जननेन्द्रिय से छेड़छाड़ करने की बहुत तीब्र इच्छा होती है।रोगी हमेशा एकांत ढूढ़ता रहता है।रात को स्वप्नदोष हो जाता है।हस्थमैथुन के परिणाम स्वरूप होने वाले धातु रोग में यह दवा लाभ करती है।

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नक्स वोमिका

जो लोग बैठे -बैठे दिन बिताया करते हैं, जो लोग आलसी हैं,जिनका पाचन तंत्र हमेशा खराब रहता है,जिनके लिंग में तनाव तो आता है परंतु शहवास के समय लिंग में शिथिलता आ जाती है और भोर में स्वप्नदोष हो जाता है उनके धातु रोग में नक्स वोमिका 200 होमेपफायदा करती है।

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ऐगनस कैस्टस

जो लोग अत्यधिक सेक्स पूर्ण जीवन व्यतीत करके पूर्ण रूप से नपुंसक हो गए हैं, जिनकी सेक्स की इच्छा तो होती है लेकिन शक्ति नहीं रहती है,जिनका लिंग शिथिल,ठंडा व टेढ़ा,साइज में एकदम छोटा हो गया है।

जिनको संगम की इच्छा बिल्कुल ही नहीं होती है, किसी कामोत्तेजक बात या स्त्री आलिंगन करने पर भी लिंग में तनाव बिल्कुल ही नहीं होता है, बार बार प्रमेह होकर एकदम से नामर्दी आ गयी है,तो ऐसे रोगी के धातु रोग के इलाज में ऐगनस कैस्टस होमियोपैथिक दवा फायदा करती है।

कोनियम मैकुलेटम

यह दवा उन लोगों को ज्यादा फायदा करती है जिन्हें सेक्स की तीव्र इच्छा किन्तु शहवास करने में बिल्कुल असमर्थ,किसी स्त्री को देखने या उसका आलिंगन करने या उसका विचार मन में आते ही वीर्यस्खलन हो जाना,लिंग में पूरा तनाव भी न आना,बहुत कोशिश करने पर कुछ कड़ापन आये परन्तु आलिंगन करने पर उसका शिथिल हो जाना,उसके बाद बहुत मानसिक कष्ट होना आदि लक्षणों में कोनियम मैकुलेटम होमियोपैथिक दवा फायदा करती है।

इस लेख में आपने जाना कि धातु रोग क्या होता है?,धातु रोग क्यों होता है?,धातु रोग के लक्षण,धातु रोग में परहेज और धातु रोग की होमियोपैथिक दवा के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से-

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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की Health Sahayata.inपुष्टि नहीं करता है, इनको केवल सुझाव के रूप में लें, इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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