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क्योंकि इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि सीपिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन क्या है?,सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा का उपयोग किन-किन रोग लक्षणों में किया जाता है।
Sepia 30 ke fayde क्या है आदि के बारे में पूरी जानकारी को जानने के लिए इस लेख को शुरु से लेकर आखिर तक पूरा पढ़े।
सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा क्या है?
Sepia 30 एक गम्भीर क्रिया करने वाली एंटी सोरिक होम्योपैथिक दवा है।यह दवा समुद्र में पाये जाने वाले कटल नाम की मछली की ग्लैंड से निकले वाली स्याही से बनाई जाती है।
सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा का उपयोग स्त्रियों के गर्भाशय की खराबियों के कारण होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार में किया जाता है।
Sepia 30 Uses in Hindi | सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के उपयोग
निम्नलिखित रोग लक्षणों में सीपिया 30 का उपयोग किया जाता है।
मानसिक लक्षण
अत्यंत उदासीनता और विलाप करना सीपिया का सर्वप्रधान लक्षण है।सीपिया रोगिणी का स्वभाव बहुत चिड़चिड़ा होता है।
रोगिणी छोटी-छोटी बातों पर नाखुश हो जाती है, तुच्छ बातों पर रोने लगती है।अपने स्वास्थ्य और भविष्य के बारे में किसी भावी अमंगल की चिंता करती है।
सुबह उठने के बाद उदासीन रहती है।काम-काज में मन न लगना,अपने करीबी लोगों से भी स्नेह न करना,यहाँ तक कि अपने प्रिय सन्तान और पति की भी परवाह नहीं करती है।
जब उससे पूछा जाता है कि तुम्हारी यह मन की अवस्था ऐसी क्यों हो गई है तो वह कहती है कि मैं जनती हूँ कि मुझे अपने पति और संतान से प्रेम करना चाहिए, पहले मैं उनको प्यार करती भी थी लेकिन अब मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।
आदमियों और दोस्तों की संगत उसे अच्छा नहीं लगता है।वह अकेले कमरे में रहना चाहती है परन्तु वह चाहती है कि उसके घर के लोग उसके बगल वाले कमरे में रहें ताकि वह जब चाहे उन्हें बुला सके।
सीपिया रोगिणी बहुत ही जिद्दी स्वभाव की होती है।उसकी बात को काटने पर नाखुश हो जाती है।जरा सा भी शोर-गुल वह पसन्द नहीं करती है।
हमेशा आत्महत्या करने के बारे में सोचती रहती है।वह हर काम में गलतियां किया करती है।उसे भूत प्रेत का डर रहता है।
वह छोटी-छोटी बात पर सबको बुरा-भला कहने लगती है।सीपिया रोगिणी ठंड को सहन नहीं कर सकती है।उसकी सारी तकलीफें ठंड से बढ़ जाती है और परिश्रम करने से कम रहती हैं।
ऊपर बताए गए सभी प्रकार के मानसिक लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के उपयोग से फायदा होता है।
सिर-दर्द
सीपिया रोगी को असहनीय सिर दर्द होता है।ऐसा सिर दर्द मानो सिर फट जाएगा।आगे की ओर झुकने,खांसने या सिर को हिलाने से सिर दर्द में वृद्धि होती है।
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि कम हरकत से सिर दर्द में वृद्धि होती है लेकिन ज्यादा हरकत से सिर दर्द कम रहता है।
चुपचाप लेटे रहने से,बहुत देर तक गहरी नींद में सोने से,खुली हवा में घूमने से,सिर को कसकर बाधने से तथा गर्मी से सिर दर्द कम रहता है।
सीपिया का सिर दर्द बायीं आँख के ऊपर से होता हुआ सिर की गुददी तक फैलता है।खाना खाने के बाद सिर दर्द में आराम मिलता है और दिमागी परिश्रम से सिर दर्द में वृद्धि होती है।
सिर दर्द के समय जी में मिचलाहट होती है और उल्टी होने से सिर दर्द में आराम मिलता है।ऊपर बताए गए सिर दर्द के सभी लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के उपयोग से फायदा होता है।
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आँख
जरायु की बीमारी के साथ यदि आँखों का मोतियाबिंद हो तो वो भी सीपिया से ठीक हो जाता है।इसके अलावा आँख आना, आँखों में बालू गिर जाने की तरह आँखों में किरकिराहट होती है।
जो रगड़ने से बढ़ जाता है।ठंडी हवा में घूमने से और गैस की रोशनी में पढ़ने से आँखों में दर्द होता है।आँखों के पलकों के किनारे पर बिलनी होती है।
आँखों की पलकें ऊपर उठाये नहीं जाती हैं,मानो उनमें पक्षाघात हो गया है।आँखों के सामने छोटी-छोटी चिंगारियां दिखाई देती है। आँखों के इस प्रकार के लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के उपयोग से फायदा होता है।
नाक
सीपिया रोगी के नाक से हमेशा जुकाम बहता रहता है।नाक से किसी भी प्रकार का गन्ध नहीं मिलता है।बार-बार छीकें आती हैं।बायीं ओर की नाक जुकाम से बंद हो जाती है।
नाक के ऊपर छोटी-छोटी फुंसियां निकल आती है।फुंसियों में बहुत दर्द होता है।मासिक धर्म के समय नाक से खून निकलता है।नाक के इस प्रकार के लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा से फायदा होता है।
कान
सीपिया रोगी के कानों से गाढ़ा पीला बदबूदार मवाद आता है।कानों में खुजली होती है।कानों में सूजन व दर्द होता है।कानों में इस प्रकार के लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के उपयोग से फायदा होता है।
चेहरा
सीपिया रोगिणी के नाक और गालों के ऊपरी हिस्से पर घोड़े के जीन की तरह का एक पीला दाग होता है।जो कि सीपिया रोगिणी का एक विशेष लक्षण है।
इस लक्षण में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के उपयोग से फायदा होता है।
मुँह
सीपिया रोगिणी के मुँह का स्वाद सुबह के समय कडुआ होता है।जबान देखने से ऐसी मालूम पड़ती है जैसे किसी ने गर्म पानी से जला दिया हो।
मुँह से बदबू आती है।खाने-पीने से दांतों में दर्द होता है।मासिक धर्म के समय दांतों में दर्द का होना सीपिया का एक विशेष लक्षण है।मुँह के इस प्रकार के लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा लाभ करती है।
पेट
सीपिया रोगी का पेट ऐसा खाली-खाली लगता है जैसे पेट में कुछ भी नहीं है।पेट अंदर की ओर धसता चला जाता है।पेट में दर्द होता है।रोगी का खाने की गंध से जी मिचलता है।
प्रैग्नेंसी के दौरान जी मिचलाना (Vomiting of Pregnancy) और दूध की तरह सफेद उल्टी होना सीपिया का विशेष लक्षण है।
पेट में भारीपन,पेट को छूने से दर्द होना,पेट पर भूरे रंग के दाग,लिवर में वृद्धि, सूजन,दर्द तथा पीलिया (पाण्डुरोग) आदि लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन के उपयोग से फायदा होता है।
मल और मलद्वार
सीपिया रोगी के मलद्वार में जलन व खुजली होती है।पखाना करते समय बवासीर के मस्से बाहर निकल जाते हैं।उन मस्सों में बहुत तेज दर्द होता है।
चलने-फिरने से मस्सों से खून निकलता है। पुराने दस्त व पेचिश में सीपिया एक अमोघ औषधि है।पेट में केचुआ होने पर सीपिया के प्रयोग से केचुए बाहर निकल जाते हैं।
कब्ज
सीपिया रोगी को सरलान्त्रकी क्रियाहीनता और पेशियों की कमजोरी की वजह से कब्ज होता है। प्रत्येक बार पखाना के लिए जोर लगाते समय कांच निकल जाता है।
सीपिया रोगी को पतला दस्त भी बड़ी तकलीफ से होता है।पखाना हो जाने के बाद भी ऐसा मालूम होता है कि मानो मलद्वार भरा हुआ है।जो आसानी नहीं निकलता है।
पेशाब (Urine)
सीपिया रोगी को बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है।पेशाब करते समय जलन व दर्द होता है।सीपिया रोगी के पेशाब में इतनी बदबू होती है कि कोई भी व्यक्ति उसके पास खड़ा नहीं रह सकता है।
पेशाब थोड़ा और खून के रंग का गंदला होता है।पेशाब को किसी शीशी या बर्तन में रखने से वह दूध की तरह एकदम सफेद हो जाता है।पेशाब के इस प्रकार के लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के प्रयोग से लाभ होता है।
बिछौने पर पेशाब हो जाना (Nocturnal Enuresis)
सीपिया रोगी का बच्चा रात को बिस्तर पर ज्यों ही सोने को जाता है पहली नींद में ही बिछौने पर पेशाब कर देता है।यह सीपिया का एक विशेष लक्षण है।
रोगी का मसाना इतना कमजोर होता है कि खांसने,छींकने,हँसने या किसी भी प्रकार की आवाज से ध्यान हट जाने से पेशाब निकल पड़ता है।
इसलिए सीपिया रोगिणी बहुत सावधान रहती है और अपने मसाने पर ध्यान रखती है।पेशाब के इस प्रकार के लक्षणों में सीपिया 30 होम्योपैथिक दवा के प्रयोग से लाभ होता है।
रजोधर्म (Mensus)
सीपिया रोगिणी के मासिक धर्म में हर प्रकार की खराबी रहती है।मासिक धर्म कभी जल्दी तो कभी देर से होता है।मासिक रुधिर थोड़ा जाता है, परन्तु यदि सीपिया के विशेष लक्षण मिलने पर अधिक मासिक रुधिर जाने पर भी सीपिया फायदा करती है।
प्रदर (Leucorrhoea)
सीपिया का प्रदर स्राव पीला या दूध की तरह सफेद व बदबूदार होता है।सीपिया का प्रदर स्राव जिस स्थान पर लगता है वहाँ पर जलन व खुजली होने लगती है।
गर्भपात (Abortion)
सीपिया रोगिणी को हर पांचवे महीने से लेकर सांतवे महीने के भीतर गर्भस्राव हो जाना सीपिया का एक विशेष लक्षण है।
गर्भाशय का बाहर निकलना
सीपिया रोगी को इस बात की आशंका होती है कि उसके गर्भाशय के सभी यन्त्र बाहर निकल पड़ेंगे।इसलिए वह उसे रोकने के लिए अपने एक जांघ को दूसरी जांघ पर रखकर बैठती है।यह सीपिया का सबसे प्रमुख लक्षण है।कोई भी स्त्री रोग क्यों न हो यदि यह लक्षण वर्तमान रहे तो वहाँ पर सीपिया के प्रयोग से निश्चय ही लाभ होगा।
खाँसी (Cough)
सीपिया रोगी को शाम के वक़्त या रात में लेटते समय हलक में सरसराहट के साथ बहुत ही कष्टदायक सूखी खांसी आती है।इसके साथ यदि रोगिणी को गर्भाशय की खराबी की लक्षनभि हो
पति सहवास में दर्द
सीपिया रोगिणी का योनि (लाइकोपोडियम की तरह) खुश्क रहता है।इस लिए जब वह अपने पति के साथ सम्बंध बनाती है तो उसके योनि मार्ग में बहुत दर्द होता है।यह सीपिया का एक विशेष लक्षण है।
चर्म रोग (Skin)
त्वचा के ऊपर सीपिया का बहुत अच्छा प्रभाव है।सीपिया रोगी के मुँह,बांह, हाथ,पीठ,कुल्हा,पेट और जननेन्द्रिय यानि कि शरीर के भिन्न-भिन्न हिस्सों में खुजली होती है।
सबसे पहले शरीर के किसी हिस्से पर दाद की तरह एक खुश्क दाना निकलता है और उसमें खुजली होती है फिर वह गोलाकार बड़ा होता जाता है।
इस प्रकार के चर्म रोगों में sepia cm uses in hindi के एक खुराक से ही फायदा हो जाता है।
नींद (Sleep)
सीपिया रोगी को नींद में स्वप्न बहुत आते हैं।बायीं करवट लेटने से नींद में धड़कन होती है।यहाँ तक कि उसके अंगुलियों के सिरे पर भी टपकन होती है।
इस प्रकार की टपकन यदि गर्भाशय की खराबी के कारण हो तो उसमें भी सीपिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन के उपयोग से लाभ होता है।
बुखार (Fever)
जब किसी रोगी का मलेरिया बुखार तरह-तरह के डॉक्टरी दवाओं से बिगड़ जाता है और उसके कोई भी लक्षण जैसे बुखार,पसीना आदि लक्षण स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं तो उस समय सीपिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन के प्रयोग से बुखार के लक्षण साफ-साफ दिखाई देने लगता हैं।जिससे बुखार में सही-सही दवा के चुनाव में सहायता मिलती है।
सम्बंध (Relations)
नेट्रम म्यूर के साथ सीपिया का प्रयोग करने से दवा का अच्छा प्रभाव होता है।
विरोधी दवा (Inimical)
लैकेसिस और पल्सेटिला बाद या पहले सीपिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये दोनों दवाएं सीपिया के साथ विरोधी भाव रखते हैं।
रोग में वृद्धि (Aggravation)
सुबह और शाम को,दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक,और शाम को 4 बजे से 6 बजे तक,खाना खाने के बाद, पहली नींद में तथा बहुत डर जाने से रोग बढ़ जाता है।
रोग में कमी (Amelioration)
खुली हवा में रहने से तथा शारीरिक परिश्रम करने से रोग में कमी होती है।
दवा की मात्रा (Dose)
सामान्य रोगों में सीपिया की 12वीं शक्ति, 30वीं शक्ति और 200वीं शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।जब कि चर्म रोगों में सीपिया के CM शक्ति तक का प्रयोग किया जा सकता है।
इस लेख में आपने जाना Sepia 30 Uses in Hindi के बारे में पूरी जानकारी।
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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की healthsahayata.inपुष्टि नहीं करता है, इनको केवल सुझाव के रूप में लें, इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।