शुगर में चिरायता के फायदे : Sugar Me Chirata Ke Fayde
शुगर में चिरायता के फायदे : Sugar Me Chirata Ke Fayde
हिमांचल प्रदेश और नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला चिरायता एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसका उपयोग शुगर, बुखार और त्वचा सम्बन्धी रोगों के इलाज में बड़ी सफलता के साथ प्रयोग किया जाता है।
इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि शुगर में चिरायता के फायदे,बुखार में चिरायता के फायदे,कुटकी और चिरायता के फायदे आदि के बारे में पूरी जानकारी।
शुगर एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाय तो जीवन भर एलोपैथिक दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ता है जो कि शुगर को तो कंट्रोल करता है लेकिन इसके साथ साथ इसके बहुत से साइडइफेक्ट भी होते हैं।
लेकिन यदि आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन किया जाय तो शुगर को पूरी तरह से कंट्रोल करके पूरा जीवन जिया जा सकता है।
शुगर में चिरायता के फायदे : Sugar Me Chirata Ke Fayde In Hindi
चिरायता स्वाद में कड़वा और एंटीडायबिटीक गुणों से भरपूर होने के कारण चिरायता मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।चिरायता दोनों प्रकार के शुगर(टाइप-1,टाइप-2) को कंट्रोल करने में मदद करता है।
टाइप-1-डायबिटीज
इस प्रकार के शुगर में पैंक्रियाज से इन्सुलिन कम मात्रा में बनता है ।
टाइप-2- डायबिटीज
इस प्रकार के डायबिटीज में पैंक्रियाज से इन्सुलिन बनना बिल्कुल बन्द हो जाता है और रोगी को ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने के लिए बाहर से इन्सुलिन लेने की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त दोनों प्रकार के डायबिटीज में चिरायता का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है।चिरायता दो तरीके से डायबिटीज को कंट्रोल करता है।
पहला यदि पैंक्रियाज से इन्सुलिन का उत्पादन कम मात्रा में होता है तो यह(चिरायता) पैंक्रियाज से निकलने वाले इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ा देता है।जिससे ब्लड में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है।
दूसरा यदि पैंक्रियाज से इन्सुलिन बनना बिल्कुल बन्द हो जाता है तो चिरायता में मौजूद रसायन खुद इन्सुलिन का काम करने लगते हैं।जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा नियंत्रित रहती है।
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बुखार में चिरायता के फायदे
आयुर्वेद में कुल 25 प्रकार के बुखारों का वर्णन किया गया है।जिसमें से अभी तक 5 से 6 प्रकार के बुखार के बारे में ही जानकारी प्राप्त है।चिरायता इन सभी प्रकार के बुखारों को जड़ से दूर करने के लिए बहुत ही लाभकारी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।चिरायता का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम 50 से 100 मिली सेवन करने से डेंगू,टाइफाइड और मलेरिया जैसे घातक ज्वर बहुत ही शीघ्र ठीक हो जाता है।
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कुटकी और चिरायता के फायदे
कुटकी और चिरायता दोनों का आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में प्रयोग किया जाता है।कुटकी स्वाद में कडुआ और तासीर में ठंडी होती है।यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करने वाली और रक्त को शुद्ध करने वाली औषधि है।
सोराइसिस में कुटकी और चिरायता के फायदे
आयुर्वेद में कुटकी और चिरायता को रक्त संशोधक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
इस लिये सोराइसिस, एक्जिमा और कुष्ट आदि रोगों में कुटकी और चिरायता बहुत ही लाभकारी होता है।
इसके लिए 4 ग्राम कुटकी और 4 ग्राम चिरायता को 125 मिली पानी में रातभर के लिए भिगो दें और सुबह उठकर उसे छानकर उस पानी को पी जाये और उस छाने हुए कुटकी और चिरायते में फिर से 125 मिली पानी डालकर रात भर के लिए रख दें,सुबह छानकर पी जाएं।
ऐसा तीन दिनों तक करें फिर चौथे दिन नए सिरे से 4 ग्राम चिरायता और 4 ग्राम कुटकी को 125 मिली पानी में भिगोएं।यह प्रयोग क़ुछ महीने लगातार करने से बहुत दिनों का पुराना सोराइसिस बिल्कुल जड़ से ठीक हो जाता है।
चिरायता के बारे में जानकारी
चिरायता एक त्रिदोषनाशक बहुगुणी जड़ी- बूटी है जो हिमांचल प्रदेश और नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में बहुतायत से पाया जाता है। इसके पौधे की ऊँचाई 2 से 4 फुट तक होती है।इसकी पत्तियां नुकीली होती हैं तथा इसके पुष्प अंडाकार होते हैं।
विश्वभर में चिरायता की लगभग 180 प्रजातियां पायी जाती हैं।भारत में लगभग 37 प्रजातियां पायी जाती हैं।चिरायता के पांचांग का उपयोग औषधीय रूप किया जाता है।
इसकी तासीर गर्म होती है।चिरायता का वैज्ञानिक नाम Swertia Chirata है।आयुर्वेद में इसका प्रयोग शुगर,बुखार,पेचिस,कब्ज,पिम्पल्स, त्वचा रोग एवं इम्युनिटी सिस्टम को बूस्ट करने के लिए किया जाता है।
चिरायता के विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नाम
चिरायता को विभिन्न भाषाओं में निम्नलिखित नामों से जाना जाता है।
भाषा नाम
- हिंदी में चिरायता, चिरैता
- संस्कृत में किराततिक्त
- अंग्रेजी में ब्राउन चिरेता
- उर्दू में चियारायता
- उड़िया में चिरायिता
- कन्नड़ में नेलबेवु
- गुजराती में करियातु
- तमिल में निलावेम्बु
- तेलगु में नीलवेरू
- बंगाली में महातिता
- नेपाली में चिराइता
- पंजाबी में चिरेता
- मराठी में काडेचिराईत
- मलयालम में नीलावेप्पा
चिरायता के गुण
चिरायता एक बहुत से गुणों को धारण करने वाली औषधि है।चिरायता में बुखार को दूर करने वाले,इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने,
ब्लड में शुगर की मात्रा को कम करने,एनीमिया को दूर करने,लीवर को मज़बूत करने, पाचन शक्ति को ठीक करके भूख को बढ़ाने,खून को साफ करने,त्वचा सम्बधी विकारों को दूर करने और पेट के कीड़ों को दूर करने एवं कमजोरी को दूर करने का गुण पाया जाता है।
चिरायता की तासीर
चिरायता त्रिदोषनाशक अर्थात वात, पित्त और कफ को दूर करने वाली औषधि है।इसकी तासीर गर्म होती है।
चिरायता का उपयोग कैसे करें?
चिरायता का बुखार,डेंगू,मलेरिया,सोराइसिस, एनीमिया,शुगर,लिवर,पाइल्स आदि बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।चिरायता को निम्नलिखित तरीके से उपयोग किया जा सकता है।
चिरायता का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार 15 से 30 ml मात्रा में उपयोग किया जा सकता है।
चिरायते को पाउडर के रूप में 2 से 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध अथवा शहद के साथ उपयोग किया जा सकता है।
चिरायते की पत्तियों को पीसकर उसके रस को निकाल कर शहद के साथ सेवन किया जा सकता है।
चिरायता कैसे बनाएं?
चिरायता एक बहुगुणी औषधि है जो मलेरिया, टाइफाइड, डेंगू,शुगर आदि बीमारियों को दूर करती है। आप चाहे तो चिरायता को घर पर बना भी सकते हैं।तो आइए जानते हैं कि घर पर चिरायता कैसे बनातें हैं।
घर पर चिरायता बनाने की विधि
इसके लिए 100 ग्राम नीम के पत्ते,100 ग्राम तुलसी के पत्ते और 100 ग्राम चिरायता की पत्ती एवं टहनियों को लें ।इन सबको साफ पानी से अच्छी तरह से धोकर छाया में सुख लें।
जब यह अच्छी तरह से सुख जाय तब इन तीनों को एक साथ मिलाकर रख लें।अब यह आपका चिरायता बनकर तैयार हो गया है।आप चाहे तो इसका पाउडर अथवा काढ़ा बनाकर सेवन कर सकते हैं।
चिरायता पीने से क्या फायदा होता है?
चिरायता शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।इसमें एंटीडायबिटिक,एंटीएलर्जिक,एंटीफंगल, एंटीवायरल,एंटीबैक्टीरियल
गुण पाया जाता है जो ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने के साथ-साथ मलेरिया, टाइफाइड और त्वचा से सम्बंधित रोगों को ठीक करने में मददगार साबित होता है।
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चिरायता के नुकसान
वैसे तो चिरायता एक निरापद औषधि है।जिसका उपयोग पेट में कीड़े मारने के लिए, ब्लड शुगर को कंट्रोल के लिये, लिवर से सम्बंधित समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए एवं त्वचा से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।फिर भी इसे निम्नलिखित परिस्थितियों में उपयोग नहीं करना चाहिए।
- यदि आप ब्लड शुगर को कम करने की दवाई ले रहें हैं तो चिरायता का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड में शुगर की मात्रा को कम कर देता है।
- यदि आपके पेट में किसी भी प्रकार का अल्सर है तो उस परिस्थिति में चिरायता का सेवन नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को अथवा स्तन का दूध पिलाने वाली महिलाओं को चिरायता का सेवन वैद्य के परामर्श से ही करना चाहिए।
इस लेख में आपने जाना कि शुगर में चिरायता के फायदे,बुखार में चिरायता के फायदे,कुटकी और चिरायता के फायदे,सोराइसिस में कुटकी और चिरायता के फायदे ,चिरायता के गुण,चिरायता के उपयोग एवं चिरायता बनाने की विधि के बारे में पूरी जानकारी।
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