Gelsemium 200 Homeopathic Medicine Uses in Hindi | जेल्सीमियम 200 के फायदे,उपयोग की पूरी जानकारी

 Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses in Hindi | जेल्सीमियम 200 के फायदे,उपयोग की पूरी जानकारी

Table of Contents

जेल्सीमियम को Yellow Jessamine के नाम से भी जाना जाता है।यह दवा दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले एक तरह के छोटे साइज के पौधे की ताजी जड़ से इसका मूल अर्क तैयार किया जाता है।

यह दवा मुख्य रूप से स्नायुमंडल की कमजोरी,लकवा, बुखार,नपुंसकता,इंफ्यूएंजा,सिर दर्द, हाथ-पैरों के कम्पन आदि को दूर को करने के लिए बड़े ही विश्वास के साथ प्रयोग किया जाता है।

Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses in Hindi

इस दवा का मुख्य लक्षण है, किसी महत्वपूर्ण जगहों(मन्दिर,या रिस्तेदार) पर जाने से पहले पखाना लग जाना,सिर को पैरों की अपेक्षा ऊँचा करके सोने पर सिर दर्द का कम हो जाना ।

अत्यधिक मात्रा में पेशाब होने से सिर दर्द का घट जाना,शरीर का ऐसे काँपना जैसे रोगी को बहुत ठंड लग रही हो,सिर में चक्कर आना,हाथ-पैर का इच्छानुसार काम न करना।

बुखार में प्यास का न लगना आदि लक्षणों में Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses करने से फायदा होता है।

Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses in Hindi | जेल्सीमियम 200 होम्योपैथिक उपयोग

मानसिक लक्षण

इस दवा का रोगी बहुत ही ज्यादा सुस्त और तेजहीन होता है।

उसे दूसरों की संगति पसन्द नहीं होती है, वह किसी से बात-चीत नहीं करना चाहता है।वह हमेशा अकेला रहना चाहता है।

जब उसके पास कोई आकर उसे छूता है तो वह फौरन गुस्सा हो जाता है।वह एकाग्रचित्त होकर किसी विषय पर सोच नहीं सकता है।

रोगी मानसिक और स्नायविक रूप से इतना कमजोर होता है कि वह हर समय लेटे रहना चाहता है।

रोगी को आस-पास की घटनाओं की सम्पूर्ण जानकारी तो होती है लेकिन उसके हाथ-पैर उसकी इच्छा के अनुसार काम नहीं करते हैं।

रोगी की नाड़ी की चाल अनियमित(धीमी) होती है,और वह सोचता है कि यदि वह उठकर उधर-उधर टहलेगा तो उसकी नाड़ी की चाल बढ़ जाएगी।

इधर -उधर टहलने पर रोगी के पैर ठीक स्थान पर नहीं पड़ते हैं।हाथ-पैर में दर्द बना रहता है।

चेहरे के लक्षण

इस दवा में रोगी के चेहरे में रक्त की अधिकता के कारण चेहरा भारी,गर्म और तमतमाया हुआ रहता है।

नीचे का जबड़ा लटक पड़ता है।मुँह से बदबू आती है।जीभ मोटी और सुन्न हो जाती है।

जीभ पर हल्के पीले रंग की मैल चढ़ी रहती है।जीभ को मुँह से बाहर निकलने पर जीभ  काँपती है।

सिर के लक्षण

जेल्सीमियम का सिर दर्द माथे में रक्त की अधिकता के कारण गर्दन के पीछे से शुरू होकर दोनों आंखों के ऊपर आकर स्थिर हो जाता है।

यह सिर दर्द गर्दन के नीचे तकिया लगाकर सोने से कम रहता है,इसके अलावां अधिक मात्रा में पेशाब हो जाने पर सिर दर्द बिल्कुल घट जाता है।

रोगी को सिर दर्द आरम्भ होने से पहले दिखाई देना कम हो जाता है लेकिन सिर दर्द बढ़ने के साथ रोगी की दृष्टि शक्ति वापस आ जाती है।इसका सिर दर्द गर्मी से या गरम कमरे में रहने बढ़ता है।

मन के लक्षण

जेल्सीमियम का रोगी देखने में बहुत सुस्त और शांत रहता है।वह सदैव अकेले रहना चाहता है।उसे अकेले रहने से तनिक भी डर नहीं लगता है।

नींद में बड़बड़ाता रहता है।इस दवा का रोगी कोई काम करते-करते एकाएक चौक पड़ता है।

छोटे छोटे बच्चों में जब इस दवा का लक्षण आता है तो बच्चा बिना किसी कारण के ही एकाएक चौक कर माता की गोंद से चिपक जाता है, और चिल्लाकर रो पड़ता है।

ऐसा मालूम पड़ता है कि जैसे बच्चा गिरने के डर से माता को कसकर पकड़ लेता है।

आँखों के लक्षण

आँखों के ऊपर जेल्सीमियम का विशेष असर होता है।आँखों के मामलों में जेल्सीमियम का विशेष लक्षण यह है कि जब सिर दर्द आरम्भ होता है तो आँखों से कम दिखाई देता है।

परन्तु सिर दर्द बढ़ने के साथ रोगी की दृष्टि शक्ति वापस आ जाती है।

आँखों की ऊपरी पलकें लटक पड़ती है।रोगी आँखों को ठीक से खोल नहीं पाता है।

रोगी को एक ही वस्तु दो-दो नजर आती हैं।एक आँख की पुतली फैली तो दूसरी सिकुड़ी रहती है।आँखों से धुँधला दिखाई देता है।

नाक के लक्षण

इस दवा के रोगी को जरा सी ठंडी हवा लगने से नाक से खाल गलाने वाला पानी जैसा श्लेष्मा निकलने लगता है।

बहुत जल्दी-जल्दी छीकें आती हैं।माथा भारी,माथे में दर्द और सारे शरीर में दर्द होता है।रोगी जरा सी मौसम की तब्दीली बर्दाश्त नहीं कर सकता है।

कान के लक्षण

इस दवा में रोगी को एकाएक कानों से सब कुछ सुनाई देना बन्द हो जाता है।

फिर थोड़ी देर बाद कानों से सब कुछ सुनाई देने लगे,कानों से सों-सों की आवाज आये,गले से कानों तक दर्द हो तो इस तरह के लक्षण  में Gelsemium 200 के उपयोग से फायदा होता है।

गला के लक्षण

ठंडी हवा लगने के कारण रोगी को गले में दर्द होता है।यह दर्द कान तक चला जाता है।कान से अच्छी तरह से सुन नहीं सकता है।

बहुत कमजोरी आ जाती है।रोगी चिल्लाकर बोल नहीं सकता है, गले की आवाज बैठ जाती है।धीरे-धीरे फुसफुसाकर बोलता है।

सर्दी-खाँसी के लक्षण

जेल्सीमियम का रोगी हमेशा इस बात की शिकायत करता रहता है कि उसे जरा सी भी मौसम की तब्दीली बर्दाश्त  नहीं होती है।

उसे जरा से भी  बारिस का मौसम अथवा ठंडी हवा लग जाने से वह सर्दी-खाँसी से पीड़ित हो जाता है।नाक से पानी गिरने लगता है।

इस दवा की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि जेल्सीमियम रोगी को प्यास नहीं लगती है।

इस दवा में रोगी को गले में सरसराहट के साथ बहुत सुखी खाँसी आती है। किन्तु बलगम बिल्कुल नहीं निकलता है।

दस्त के लक्षण

किसी स्थान पर जाने के बारे में चिंता करने या किसी असुभ समाचार के सुनने के बाद बहुत ज्यादा मात्रा में बिना दर्द के पतले दस्त आने लगे तो होमियोपैथिक दवा Gelsemium के उपयोग से फायदा होता है।

कम्पन्न के लक्षण

इस दवा में रोगी को इतना अधिक कम्पन्न होता है कि मानो रोगी ठंड से कांप रहा हो,लेकिन रोगी के शरीर में तनिक भी जाड़ा नहीं होता है।

कम्पन्न रोग होने की पहली अवस्था में चलते समय रोगी के पैर काँपते हैं, रोगी हाथ को ऊपर उठता है तो उसके हाथ काँपते हैं, मुँह से बाहर जीभ निकलते समय रोगी की जीभ काँपती है।

रोगी को सम्पूर्ण ज्ञान तो रहता है कि उसके अंग उसके इच्छानुसार काम नहीं कर रहें हैं।

इस तरह के कम्पन्न के लक्षण रहने पर Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses करने से फायदा होता है।

पक्षाघात के लक्षण

इस दवा में रोगी की सब मांसपेशियां सुन्न हो जाती हैं।रोगी अपनी मर्जी से हाथ-पैरों को हिला नहीं सकता है क्योंकि उसकी गति संचालक स्नायु सूत्र(Motor nerves) पहले की तरह कार्य करने में सक्षम नहीं रहते हैं।

रोगी की यह स्थिति बहुत धीरे-धीरे शुरू होती है जिसके कारण रोगी थकावट और सर्वांगीण दुर्बलता का अनुभव करता है।

रोगी  हमेशा चुप पड़ा रहना या सोये रहना पसंद करता है।वह हमेशा अकेला रहना चाहता है, तनिक भी हिलना नहीं चाहता है।

यदि कोई उसके ऊपर हाथ रखे या उसके पास रहे तो वह गुस्सा हो जाता है। अनजाने में मल बाहर निकल जाता है और रोगी को कुछ भी मालूम नहीं चल पाता है।

मूत्राशय का भी पक्षाघात हो जाता है जिससे पेशाब होना बिल्कुल बन्द हो जाता है, और कभी कभी पेशाब बूंद बूंद करके निकलता है और पेशाब हो जाने के बाद रोगी ऐसा समझता है कि थोड़ा पेशाब बाकी रह गया है।

नपुंसकता के लक्षण

इस दवा में रोगी को बिना किसी तरह के स्वप्न देखे ही स्वप्नदोष हो जाता है।

हस्थमैथुन या स्वप्नदोष की वजह से पुरूष-जननेन्द्रिय में तनाव का न आना आदि लक्षणों में Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses करने से फायदा होता है।

बुखार के लक्षण

बच्चे और पूरी उम्र के लोगों में बुखार आने के लक्षण में जेल्सीमियम एक बहुत ही महत्वपूर्ण होमियोपैथिक औषधि है।

इस दवा का ज्वर एकोनाइट और बेलाडोना की तरह बहुत तेज और एकाएक नहीं आता है बल्कि धीरे धीरे प्रकट होता है।

जेल्सीमियम का ज्वर आने पर रोगी चुपचाप पड़ा रहता है।कमजोरी के कारण हिलना डुलना बिल्कुल नहीं चाहता है।

जेल्सीमियम के साथ बैप्टिशिया के लक्षणों की समानता पायी जाती है।

जैसे शरीर मे दर्द,दुर्बलता,बेहोसी,तीसरे पहर बुखार की वृद्धि स्नायविक उत्तेजना(Nervous excitement) दोनों दवाओं में पायी जाती है।

इसलिए जेल्सीमियम के प्रयोग के बाद बैप्टिशिया के प्रयोग से फायदा होता है।

जेल्सीमियम में रोगी अचेतावस्था में चुपचाप पड़ा रहता है जबकि बैप्टिशिया में रोगी बेचैन रहता है, बेहोशी में बड़बड़ाता है।

रोगी किसी प्रश्न का उत्तर देते-देते सो जाता है।लेकिन जेल्सीमियम में ये बातें नहीं होती हैं।

जेल्सीमियम में सिर में रक्त की अधिकता रहती है लेकिन बेलाडोना की तरह बेहोशी नहीं रहती है।जेल्सीमियम के बुखार में प्यास नहीं रहती है।

इस दवा में शीत पीठ की दोनों हड्डियों के बीच से आरंभ होता है।रोगी थरथराकर कांपता है लेकिन ठण्ड बिल्कुल नहीं लगती है।

केवल शरीर में कंपन्न होता है।उपरोक्त प्रकार के लक्षण किसी रोगी में दिखाई देने पर Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses करने से फायदा होता है।

ह्रदय के लक्षण

जेल्सीमियम का विचित्र लक्षण यह है कि रोगी सोचता है कि यदि वह चलेगा-फिरेगा नहीं तो उसकी दिल की धड़कन बन्द हो जाएगी।

रोग में वृद्धि

नम मौसम में, बिजली कड़कने और आँधी के पहले,मन की उत्तेजना से,बुरे समाचार सुनने से,तम्बाकू खाने से और अपने रोग के बारे में चिंता करने से रोग में वृद्धि होती है।

रोग में कमी

बलबर्धक दवाओं के सेवन से और खुली हवा में रहने से रोग में  होती है।

सम्बन्ध

टाइफाइड बुखार में बैप्टिशिया के साथ और कुनैन द्वारा जुड़ी-बुखार दबा दिए जाने के बाद उपयोग किए जाने वाले इपिकाक के बाद जेल्सीमियम का प्रयोग होता है।

 

जेल्सीमियम 200 के फायदे | Gelsemium 200 Homeopathy Benefits in Hindi

निम्नलिखित रोगों में जेल्सीमियम 200 फायदा करती है।

  • मानसिक रोग
  • कमजोरी
  • अनिद्रा
  • माइग्रेन
  • दमा
  • खांसी
  • डिप्रेशन
  • लकवा
  • सिरदर्द
  • चक्कर आना
  • फ्लू
  • बेहोशी
  • बुखार
  • अवसाद
  • ब्लडप्रेशर
  • ग्लूकोमा

आदि रोगों में यह दवा लाभ करती है।

जेल्सीमियम 200 खुराक | Gelsemium 200 Doses in Hindi

जेल्सीमियम 200 होम्योपैथिक दवा की खुराक का चयन व्यक्ति के रोग के लक्षणों,रोगी की आयु और लिगं के आधार पर किया जाता है। लेकिन आमतौर पर, इस दवा की सुझाई गई खुराक निम्नलिखित होती है:

  •  Gelsemium 30 को 3 से 5 बून्द दिनभर में 3 बार
  •  Gelsemium 200 को 3 से 5 बून्द दिनभर में 2 बार
  • Gelsemium 1M को 3 से 5 बून्द सप्ताह में 1 बार
  • Gelsemium Q को 15 से 20 बूंद की मात्रा में आधा कप पानी के साथ दिनभर में 3 बार

लेना पर्याप्त होता है। हालांकि रोग की तीव्रता के आधार पर दवा की मात्रा को कम या अधिक किया जा सकता है।

जेल्सीमियम 200 कीमत | Gelsemium 200 Price in Hindi

Gelsemium 200 होम्योपैथिक दवा की कीमत भिन्न-भिन्न ब्रांड और जगहों पर भिन्न हो सकती है।

भारत में  SBL कम्पनी की gelsemium 200 की 30 ml दवा की कीमत सामान्य रूप से 100 से 103 रुपये के बीच है।

हालांकि, इसकी वास्तविक कीमत आपकी जगह और दुकान से भी भिन्न हो सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने स्थानीय होम्योपैथिक दुकान से इस दवा की वास्तविक कीमत की जांच कर लें।

जेल्सीमियम 200 के नुकसान |Gelsemium 200 Side Effects in Hindi

Gelsemium 200 को एक कुशल होम्योपैथिक चिकित्सक की देख-रेख में लेने से इस दवा का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है।

 

 
Gelsemium 200 Uses in Hindi Video
 

 
हेल्थ सहायता के इस लेख में आपने जाना Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses in Hindi के बारे में पूरी जानकारी।
 
Gelsemium 200 Homeopathic medicine Uses in Hindi के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके हमें जरूर बताएं।
 
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की healthsahayata.inपुष्टि नहीं करता है, इनको केवल सुझाव के रूप में लें, इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
 
इसे भी पढ़े
 
 

जेल्सीमियम 200 के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQ

Q• जेल्सीमियम का क्या फायदा है?

Ans• जेल्सीमियम होम्योपैथिक दवा चिंता, सिरदर्द, चक्कर, सर्दी, नाक की एलर्जी, कमजोरी,आंखों के रोग, लकवा,सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, बुखार, मासिक धर्म में गड़बड़ी तथा मस्तिष्क से सम्बंधित रोगों के इलाज में फायदा करती है।

Q• जेल्सीमियम किस चीज से बनता है?

Ans• यह दवा जेल्सेमियम सेम्परविरेंस नामक पौधे जिसे एलो जैस्मीन कहा जाता है उसी पौधे के जड़ से इस दवा का मूल अर्क बनाया जाता है।

Q• जेल्सीमियम आप किस तरह से लेते हैं?

Ans• जेल्सिमियम सेम्पर्विरेंस होम्योपैथिक दवा की 4 से 5 बूंद को दिनभर में 3 बार सीधे जीभ पर अथवा एक चम्मच पानी में मिलाकर लेना चाहिए।

Q• आप जेल्सीमियम का उपयोग कब करते हैं?

Ans• जेल्सीमियम का उपयोग खाना खाने से आधा घंटा पहले या खाना खाने के आधा घंटा बाद करना चाहिए।

Q• होम्योपैथिक जेल्सिमियम सेम्पर्विरेंस किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

Ans• जेल्सिमियम सेम्पर्विरेंस का प्रयोग दमा,खांसी,बेहोशी,अनिद्रा,कमजोरी,माइग्रेन,चक्कर आना,अवसाद,मिर्गी के दौरे,चेहरे की नसों का दर्द,सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस,नाक का नजला,बुखार आदि को ठीक करने के लिए किया जाता है।

Q• यदि आप बहुत ज्यादा जेल्सीमियम लेते हैं तो क्या होता है?

Ans• यदि आप बहुत ज्यादा होम्योपैथिक जेल्सीमियम लेते हैं तो हाथ-पैरों में कम्पन्न, चक्कर आना,कमजोरी और मस्तिष्क से सम्बंधित विकार उत्तपन्न हो सकते हैं।

Leave a Comment