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Lasoda ke fayde in hindi | Lasoda fal ke fayde

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Lasoda ke fayde in hindi |Lasoda fal ke fayde |रोगों के लिए काल है लसोड़े का फल,जाने इसके गजब के फायदे   आयुर्वेद के अनुसार लसोड़े के फल के फायदे ढेर सारे होते हैं लसोडा का पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है।इसको हिंदी  में गोंदी,वहुवार,लिसोरा,लीटोरा, लिसोड़ा आदि नामों से जाना जाता है।  इसका कच्चा फल हरे रंग का होता है और पकने पर हल्का गुलाबी रंग का हो जाता है। लसोड़ा का फल गुच्छों के रूप में लगता है।इसका फल सुपारी के समान होता है। इसमे से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है जो मीठा होता है। मार्च के महीने में इसमें फूल आते हैं और जून – जुलाई में इसका फल पकने लगता है।   इसके बृक्ष की ऊँचाई 30 से 40 फुट तक होती है।इसका फल स्त्री और पुरुष दोनों के रोगों के उपचार  में समान रूप से फलदायी होता है।तो आइए जानते हैं Lasoda ke fayde in hindi के बारे में पूरी जानकारी – रात को लहसुन खाने के फायदे Lasoda ke fayde in hindi| लसोडा (श्लेशमांतक) का आयुर्वेदिक उपयोग   लसोडा के फल की प्रकृति ठंडी होती है।इसका फल बल की बृद्धि करने वाला,कृमि का नाश करने वाला,यौन दुर्बलता को दूर करने वाला,कफ के दोषों को दूर करन

अर्जुन की छाल और दालचीनी के फायदे: Arjun Ki Chhal Aur Dalchini Ke Fayde

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 अर्जुन की छाल और दालचीनी के फायदे: Arjun Ki Chhal Aur Dalchini Ke Fayde दालचीनी का प्रयोग लगभग हर घर में मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है।यह खाने के सुगन्ध को बढ़ाने के साथ साथ हमारे शरीर में होने वाले कई रोगों से बचाने में सहायक होता है। इसी प्रकार से आयुर्वेद में अर्जुन की छाल का प्रयोग भी हमारे शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। तो आइये जानते हैं अर्जुन की छाल और दालचीनी के फायदे के बारे में विस्तार से- दालचीनी : Dalchini दालचीनी का प्रयोग हर घर में मसालों के रूप में किया जाता है।दालचीनी का वैज्ञानिक नाम सिनॅमोमम झेलॅनिकम (Cinnamon) है। इसकी की तासीर गर्म होती है।यह कफ और वात से होने वाले रोगों को दूर करने वाली औषधि है। इसीलिए इसका प्रयोग जाड़े के मौसम में होने वाले सर्दी-खाँसी,जोड़ों के दर्द,हृदय से सम्बंधित रोग,शुगर आदि को दूर करने के लिए किया जाता है। क्योंकि जाड़े के मौसम में कफ और वात का प्रकोप बढ़ जाता है। दालचीनी के फायदे:Dalchini Ke Fayde जोड़ो के दर्द एवं सूजन को कम करे दालचीनी में एंटीइंफ्लेमेटरी अर्थात सूजन को कम करने का गुण पाया ज

करी पत्ता के चमत्कारी फायदे (Benefits of curry leaves ) | करी पत्ता के गुण

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 करी पत्ता के चमत्कारी फायदे ( benefits of curry leaves ) |करी पत्ता के गुण (Kari patta ke gun) करी पत्ता भारत मे लगभग हर जगह पाया जाता है।यह दक्षिण भारत में भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।इसे हिंदी में मीठा नीम और संस्कृत में कृष्ण लिंबा कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम murraya kaenigi   i है। करी पत्ता में कैल्शियम , प्रोटीन , आयरन , फोलिक एसिड , विटामिन्स B1,B6,B9,E और C जैसे पोषक तत्त्व भारी मात्रा में पाए जाते हैं।  इसके अतिरिक्त एंटीऑक्सीडेंट , एंटीडाइबिटिक और एंटीबैक्टिरियल जैसे गुण भी पाए जाते हैं।इसके अलावा करी पत्ता के फायदे बहुत से जो इस प्रकार से हैं। करी पत्ता के फायदे (Benifits of curry leaves )|मीठी नीम के फायदे मीठी नीम के निम्नलिखित फायदे होते हैं। वजन को कम करता है इसमे भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो शरीर की पाचन क्रिया को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।पाचन क्रिया ठीक होने शरीर की अतिरिक्त चर्बी धीरे धीरे कम हो जाती है।  इसके लिए रोज सुबह 4 तुलसी के पत्तों को खाएं और  उसके बाद 5 से 6 करी पत्ते को खाने से शरीर मे ज

Babul ki Gond {Acacia Gum} बबूल गोंद के फायदे

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 बबूल गोंद के फायदे – Babul ki Gond{Acacia Gum}khane ke fayde in Hindi     आयुर्वेद के अनुसार बबूल के गोंद का उपयोग बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। कमर दर्द,ल्यूकोरिया, स्वप्नदोष, धातुरोग और जोड़ों के दर्द आदि में बबूल का गोंद बहुत ही फायदे मन्द होता है।     बबूल का परिचय बबूल एक औषधीय पौधा है।यह भारत में लगभग सभी स्थानों पर पाया जाता है।यह पानी की कमी वाले स्थानों पर (मरुभूमि) में ज्यादा पाया जाता है। बबूल की पत्तियां बहुत छोटी- छोटी होती हैं। इसका पेड़ लगभग 40फीट की ऊंचाई तक का होता है।इसमें सुई की तरह सफेद रंग के कांटे होते हैं।इसमें जाड़े के मौसम में पीले रंग के फूल लगतें हैं। बबूल के पेड़ से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है जो बाद में सुख कर कड़ा हो जाता है।जिसे बबूल की गोंद कहते हैं। जिसका उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है।बबूल की पत्ती, फली,फूल और छाल का भी प्रयोग बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। बबूल के गोंद की जानकारी स्वाद   इसका स्वाद हल्का कसैला होता है।   रंग   इसका रंग हल्का पीला भूरे रंग का होता है।   स्वरूप   बबूल के गोंद का निर्म

चिरायता कितने दिन पीना चाहिए: Chirata Kitne Din Pina Chahiye

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 चिरायता कितने दिन पीना चाहिए: Chirata Kitne Din Pina Chahiye आयुर्वेदिक दवाओं में चिरायता को एक बहुउद्देश्यीय औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।क्योंकि चिरायता को लगभग सभी प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में प्रयोग किया जाता है। फिर चाहे वह पेट के कीड़े मारने की,ब्लड में शुगर को कंट्रोल करने की, टाइफाइड या मलेरिया बुखार को दूर करने की या फिर लिवर से सम्बंधित दवाओं को बनाने में चिरायता का क़ुछ न क़ुछ प्रयोग अवश्य किया जाता है। चिरायता में एंटीएलर्जिक , एंटीफंगल , एंटीडायबिटिक , एंटीऑक्सीडेंट आदि गुण पाया जाता है।जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ रोगों से लड़ने में मददगार होता है। चिरायता का टेस्ट बहुत ही कड़ुआ होता है।यदि इसके कडुआहट को नजरअंदाज कर दिया जाए तो इसके सेवन से होने वाले फायदे बहुत से हैं।तो आइए जानते हैं कि चिरायता कितने दिन पीना चाहिए और इसके सेवन से किन-किन बीमारियों में फायदा होता है चिरायता के फायदे -Chirata ke fayde चिरायता का प्रयोग निम्नलिखित रोगों के उपचार में किया जाता है। खून की कमी को दूर करने में खून की कमी होने पर चिरायता का सेवन ब

Pyaj khane ke fayde | कच्चा प्याज खाने के चमत्कारिक फायदे

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प्याज मानव जीवन को दीर्घायु बनाने वाला प्रकृति का एक बरदान है जो मनुष्य को स्वतंत्र रूप से प्राप्त है।प्याज खाने वाले लोग कभी बीमार नही पड़ते है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सीपा है इसमें एंटीऑक्सीडेंट , एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी के गुण पाये जाते हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन्स A,B,C,E   के साथ सल्फ़र , आयरन , कैल्शियम , क्यूरेस्टिंन , क्रोमियम आदि पोषक तत्त्व पाये जाते हैं जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। होमिओपेथी में इससे एलियम सीपा नाम की दवा बनायी जाती है। Pyaj khane ke fayde । कच्चा प्याज खाने के फायदे प्याज में बहुत से पोषक तत्व पाये जाते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ शरीर की बहुत से बीमारियों को ठीक करने में सहायक होता है।आइये जानते है कि प्याज खाने से किन किन बीमारियों फायदा होता है। धमनियों में रक्त के बहाव को ठीक करता है प्याज खाने से हमारे शरीर मे रक्त की धमनियों के ऊपर जो वसा या कोलेस्ट्रॉल जमा होता है उस कोलेस्ट्रॉल को जमा नही  होने देता है जिससे हमारी धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरह से होता है और यह ब्लड कोशिकाओं को इकठ्ठा

शुगर में बबूल की फली

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 शुगर में बबूल की फली जिस प्रकार आयुर्वेद में विभिन्न पेड़ पौधों और फल,फूलों एवं छालों का उपयोग अनेक प्रकार के रोगों के इलाज में किया जाता है ठीक उसी प्रकार शुगर में बबूल की फली का उपयोग किया जाता है। बबूल एक मरुभूमि में उगने वाला पेड़ है जो भारत में लगभग हर जगह पाया जाता है।इसकी पत्तियां बहुत छोटी-छोटी होती हैं।इसमें जाड़े के दिनों में गुच्छेदार पिले रंग के फूल लगतें है।और मार्च-अप्रैल के महीने में इसमें फलियां लगती हैं।आयुर्वेद में इसके फलियों का उपयोग शुगर के इलाज,घुटनों के दर्द,जोड़ो के दर्द आदि में किया जाता है। बबूल की फली का सेवन कैसे करें? बबूल की फली का लाभ(फायदे)जानने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि बबूल की फली का सेवन कैसे करें? तो इसके लिए बबूल की फली को निम्नलिखित तरीके से प्रयोग कर सकते हैं। बबूल की फली का आचार बनाकर बबूल की फली का सब्जी बनाकर बबूल की फली का चूर्ण बनाकर उपरोक्त दोनों विधियों द्वारा इसके फली को पूरे वर्ष उपयोग में नहीं लाया जा सकता है।क्यों कि इसकी फली विशेष मौसम में ही उपलब्ध होती है। बबूल की फली को पूरे वर्ष भर उपयोग में लाने के लिए इसकी  फली का चूर्ण बन

कमरकस के फायदे | Kamarkas Ke Fayde

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 कमरकस के फायदे | kamarkas Ke Fayde kamarkas ke fayde : कमरकस जिसे पलास या टेसू के नाम से जाना जाता है।आयुर्वेद की दृष्टि से यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा है।जिसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।   पलास का फल,फूल पत्ती छाल और उससे निकलने वाले गोंद का औषधीय रूप में प्रयोग किया जाता है।     कमरकस प्रयोग महिलाओं को डिलीवरी के बाद कमर में आयी कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है। कमरकस किसे कहते हैं?|kamar kas kya hota hai?   पलास के पेड़ और डालियों के छाल को काटने   पर एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है।    जो सूखकर हल्का भूरा लाल रंग का हो जाता है। इस हल्के भूरे लाल रंग के पदार्थ को ही पलास की गोंद या कमरकस कहते हैं।   कमरकस का अर्थ कमरकस (यानी कि पलास बृक्ष की गोंद) का अर्थ होता है कमर को कसने वाला अर्थात वह गोंद जो कमर की मसल्स को मजबूती प्रदान करे कमरकस कहलाता है।   कमरकस की तासीर कैसी होती है?   कमरकस पलास बृक्ष गोंद को कहते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है। इसका प्रयोग आयुर्वेद में बहुत सी बीमारियों को दूर करने में किया जाता है।   कमरकस क्या चीज होती है? कमरकस

गुड़हल के फूल की जानकारी और औषधीय गुण | Hibiscus flower information in hindi

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  गुड़हल के फूल की जानकारी और औषधीय गुण | Hibiscus flower information in hindi आयुर्वेद के अनुसार गुड़हल में बहुत सी बीमारियों को दूर करने के औषधीय गुण पाए जाते हैं। गुड़हल का उपयोग पूजा-पाठ करने के लिए भी किया जाता है। इसका फूल भगवान श्रीगणेश को चढ़ाया जाता है।इसका वैज्ञानिक नाम(Hibiscus rosa-sinensis) हिविस्कस रोजा साइनेंसिस है।यह मालवेसी कुल का पौधा है।दुनियां भर में इसकी लगभग 220 प्रजातियां पायी जाती हैं। div< class=”avsTOC”> Contents गुड़हल क्या होता है?गुड़हल के फूल की जानकारी(hibiscus flower information in hindi) गुड़हल एक प्रकार का सुन्दर फूल होता है।इसका वैज्ञानिक नाम हिविस्कस रोजा साइनेंसिस है।यह लगभग पूरी दुनिया हर जगह पाया जाता है । इसकी लगभग 220 प्रजातियां पायी जाती हैं।इसका पुष्प लाल,पीला, बैंगनी ,नारंगी और सफेद रंग का होता है।इसमें सफेद और लाल रंग के फूल का औषधीय रूप में प्रयोग किया जाता है। गुड़हल का अंग्रेजी नाम हिविस्कस (Hibiscus)और मराठी में इसे जास्वंद कहते है। संस्कृत भाषा में जपा , गुजराती में जासुद और हिंंदी  में  जव