अर्जुन के पेड़ की पहचान,फायदे और उपयोग

 अर्जुन के पेड़ की पहचान,फायदे और उपयोग

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भारतीय आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ की पहचान हृदय रोगों को दूर करने वाली औषधि के रूप में किया जाता है।
Arjun ke ped ki pahchan

इसके पेड़ से निकलने वाली छाल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
 जो हृदय की धमनियों में जमने वाले कोलेस्ट्रॉल को पिघलाकर हृदय को स्वस्थ और मजबूत बनाता है।

अर्जुन के पेड़ की पहचान

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भारत में अर्जुन के पेड़ की लगभग पन्द्रह प्रजातियां पायी जाती हैं।अर्जुन का पेड़ एक बड़े आकार का सीधा बढ़ने वाला बृक्ष होता है।
यह पेड़ ज्यादातर नदी,नालाओं के किनारे पाया जाता है इसीलिए इसे नदीसर्च भी कहते हैं
इस पेड़ की ऊँचाई लगभग 70 से 80 फुट तक होती है। इसका बृक्ष आकर में बहुत बड़ा होता है।
इसलिए इसे बीरबृक्ष भी कहा जाता है।इस पेड़ के जड़ की छाल देखने में सफेद और चिकनी होती है।इसलिए इसे धवल बृक्ष भी कहते हैं।
इस पेड़ की छाल को काटने पर इसकी छाल अंदर की तरफ रक्त की तरह लाल रंग की दिखाई देती है।
 उसमें से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है।
जिसे अर्जुन के पेड़ की गोंद कहते हैं। जिसका उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने में किया जाता है।
इसकी पत्तियां देखने में अमरूद की पत्तियों की तरह 7 से 20 सेंटीमीटर लम्बी भालाकार होती हैं।
मार्च-अप्रैल के महीने में इस पेड़ में हल्के सफेद रंग के फूल आते हैं।
इसमें हल्के हरे रंग के गुच्छों के रूप में फल लगतें हैं इसके फल में 5 इस 7 धारियां होती हैं।जो बाद में पककर गहरे-भूरे रंग के हो जाते हैं।
इसके फलों का स्वाद कसैला होता है।औषधि के रूप में इसकी जड़,तना,फल,पत्तियों तथा छाल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।

अर्जुन के पेड़ का विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नाम

भाषा                   नाम
हिंदी में                अर्जुन
उड़िया में             ओर्जुनो
आसामी में          ओर्जुन
उर्दू में                 अर्जन
कन्नड़ में             निरमथी
गुजराती में          अर्जुनसदारा
तमिल में             बेल्लईमरुदू
तेलगु में             येरमददी
बंगाली में           अर्जुन गाछ
पंजाबी में           अरजन
नेपाली में           काहू
मराठी में            सावीमदात
मलयालम में        वेल्लामरुटू
अंग्रेजी में            व्हाइट मुरदाह
अरबी                अर्जुन पोस्त
आदि नामों से जाना जाता है।

अर्जुन के पेड़ का वैज्ञानिक नाम

पूरे भारत में अर्जुन के पेड़ की लगभग पन्द्रह प्रजातियां पायी जाती हैं।
लेकिन जिस अर्जुन के पेड़ का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में किया जाता है इसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना है।इस पेड़ का मूल उत्तपत्ति स्थान भारत है।

अर्जुन के पेड़ में पाए जाने वाले विभिन्न पोषक तत्व

अर्जुन के पेड़ की छाल में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाया जाता हैं।जो शरीर में होने वाले रोगों से हमें बचाता है।
अर्जुन के पेड़ की छाल में कैल्शियम कार्बोनेट,मैग्नीशियम,सोडियम तथा एल्मुनियम आदि सूक्ष्म पोषक तत्व पाया जाता है।
इसके अलावा अर्जुन की छाल में बीटा-साईटो स्टेरॉल,अर्जुनिक एसिड और फ्रीडेलीन पाया जाता है।
 जो अर्जुनिक एसिड, ग्लूकोज के साथ मिलकर ग्लूकोसाइड बनाता है जिसे अर्जुनेटिक कहते हैं।
जो हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ हमारे शरीर में होने वाले रोगों से बचाता है।

अर्जुन का पेड़ कहां पाया जाता है?

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यह सदाबहार वृक्ष भारत के लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है।लेकिन यह ज्यादातर मध्यप्रदेश, बिहार ,उत्तर प्रदेश और हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में ज्यादा पाया जाता है।

अर्जुन की छाल का उपयोग कैसे करें?

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अर्जुन की छाल का आयुर्वेदिक चिकित्सा में निम्नलिखित तरीके से उपयोग किया जा सकता है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा 

काढ़ा बनाकर अर्जुन की छाल का उपयोग 50 से 100 ml की मात्रा में सुबह-शाम  करने से हृदय रोग से सम्बंधित बीमारियों में लाभ होता है।

अर्जुन की छाल का पाउडर

अर्जुन की छाल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।इसके चूर्ण का सुबह-शाम एक-एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ  सेवन करने से टूटी हुई हड्डियां जुड़ जाती हैं।

अर्जुन की छाल का पेस्ट

अर्जुन की छाल का पेस्ट बनाकर जले हुए स्थान पर लगाने से जलन में तुरंत राहत मिलती है और घावों से खून आना बंद हो जाता है।

अर्जुन के पेड़ की तासीर

अर्जुन के पेड़ की तासीर ठंडी होती है इसलिए यह पित्त और कफ दोषों के कारण होने वाले रोगों को दूर करती है।

अर्जुन के पेड़ के फायदे

अर्जुन के पेड़ का उपयोग आयुर्वेद में निम्नलिखित रोगों के उपचार में किया जाता है।

मुँह के छालों को ठीक करता है

यदि किसी के मुँह में छाले हो गये हो और वह जल्दी ठीक नहीं हो रहें हों तो अर्जुन के पेड़ की छाल के प्रयोग से मुँह के छाले बहुत ही जल्दी से ठीक हो जातें हैं।
इसके लिए अर्जुन की छाल को लेकर उसकी लुगदी बना लें फिर उसे थोड़े से पानी में उबालकर उसका काढ़ा बना लें।
 और उस काढ़े से सुबह-शाम गरारे करने से मुँह के छाले बहुत ही जल्दी ठीक हो जाते हैं।

झाइयां और मुहासों को दूर करता है

जो लोग कम उम्र में ही अपनी उम्र से ज्यादा उम्र के दिखाई देते हैं और चेहरे पर झाइयां और झुर्रियां पड़ जाती हैं।
उनके लिए अर्जुन के पेड़ की पत्तियों का प्रयोग से करने से झाइयों और मुहासों में लाभ होता है।
इसके लिए अर्जुन के पेड़ की पत्तियों को लेकर उसका पेस्ट बनाकर उसे रात को सोते समय अपने चेहरे पर लगायें।
यह प्रयोग कुछ दिनों तक करने से चेहरे पर से झाइयां और मुँहासे मिट जायेगें।

कान के दर्द को दूर करता है

यदि किसी के कान में दर्द हो रहा हो तो उसमें भी अर्जुन के पेड़ की पत्तियों का प्रयोग करने से लाभ होता है।
इसके लिए इस पेड़ की कुछ पत्तियों को पीसकर उसका रस निकाल लें और उसे दो-दो बूंद करके कान में डालने से कान में होने वाले दर्द में आराम मिलता है।

वजन कम करने में सहायक

जो लोग अपने बढ़ते वजन को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं और तरह-तरह का एक्सरसाइज करते हैं और अनेकों प्रकार की दवाइयां खाते रहते हैं।जिसका कुछ न कुछ साइडइफेक्ट होता है उनके लिए अर्जुन का पेड़ किसी वरदान से कम नहीं है।
क्योंकि अर्जुन की छाल में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है।जो पाचन क्रिया को ठीक करके वजन को कम करने में सहायक होता है। 

टूटी हुई हड्डियों को जोड़ देता है

यदि किसी को गिरने के कारण या किसी अन्य तरह से चोट लगने के कारण उसकी हड्डियां टूट जाएं तो भी उसमें अर्जुन के पेड़ की छाल फायदा करती हैं।
क्योंकि इसकी छाल में 34℅ कैल्शियम कार्बोनेट पाया जाता है जो टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में सहायता करता है।
इसके लिए अर्जुन की छाल को पीसकर उसका पाउडर बना लें और उसे एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें।
इसके साथ ही अर्जुन की छाल की लुगदी बनाकर टूटी हुई हड्डियों की जगह पर बांधने से और भी जल्दी फायदा होता है।

डायबिटीज को कंट्रोल करता है 

आज के समय में डायबिटीज की बीमारी होना एक सामान्य बात हो गई है।पूरी दुनिया में हर 3 व्यक्ति में से एक व्यक्ति डायबिटीज रोग से पीड़ित है।
जिसे कंट्रोल करने के लिए हमेशा एलोपैथिक दवाइयों का सेवन करना पड़ता है।जिसके कुछ साइडइफेक्ट भी होते हैं।
लेकिन आप चाहे तो इसे अर्जुन की छाल का प्रयोग करके भी कंट्रोल कर सकते हैं।
इसके लिए अर्जुन की छाल को जामुन की गुठली के साथ मिलाकर उसका चूर्ण बना लें और सुबह-शाम एक-एक चम्मच की मात्रा में सेवन करें तो आपका डायबिटीज कंट्रोल में रहेगा।

हार्टअटैक के खतरे को करता है कम

हार्टअटैक का मुख्य कारण होता है हृदय की धमनियों में खून का सुचारू रूप से न पहुचना,अर्जुन के पेड़ की छाल में हृदय की धमनियों में जमने वाले कोलेस्ट्रॉल और ट्राइ ग्लिसराइड को कम करने का गुण पाया जाता है।
जिससे हृदय की धमनियों में रक्त का संचार सुचारू रूप से होने लगता है।और हार्ट अटैक आने का खतरा कम हो जाता है।
इसके लिए 5 ग्राम अर्जुन की छाल का पाउडर लें,और उसमें 50 ml दूध और 100 ml पानी को मिलाकर उसे धीमी आंच पर इतना उबालें की सारा पानी भांप बनकर उड़ जाय,और केवल 50 ml दूध ही बचे फिर उसे खाना खाने से एक घंटे पहले खाली पेट सेवन करें।ऐसा कम से कम तीन महीनें तक लगातार करें।

मासिकधर्म की अनियमितता को दूर करता है

जिन महिलाओं को मासिकधर्म देर से आता है या समय से बहुत पहले आता है।और मासिकधर्म के दौरान बहुत ज्यादा दर्द या ब्लीडिंग होती है।
 तो उन महिलाओं में अर्जुन के पेड़ की छाल के प्रयोग से मासिकधर्म की अनियमितता दूर हो जाती है।
इसके लिए 100 ग्राम अर्जुन की छाल का पाउडर लें, और 100 ग्राम नागर मोथा का पाउडर को लेकर,दोनों को आपस में अच्छी तरह से मिलाकर रख दें।
और सुबह-शाम 3 से 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।

शुक्रमेह या स्पर्मटोरिया

स्वप्न में या जागते समय, पखाना या पेशाब करते समय,बिना अनुमति के वीर्य के निकल जाने को शुक्रमेह या स्पर्मटोरिया कहते हैं।
इस तरह के वीर्य निकलने की बीमारी में भी अर्जुन के पेड़ की छाल के प्रयोग से फायदा होता है।
इसके लिए अर्जुन के पेड़ की छाल और सफेद चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें,और उसे 3 से 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से शुक्रमेह में लाभ होता है।

जलन को शांत करता है

यदि आपके शरीर का कोई भाग आग से जल गया हो और वहाँ पर तेज जलन हो रही हो तो उस जले हुए स्थान पर अर्जुन की छाल को पीसकर उसका लेप लगाने से जलन में राहत मिलती है।क्योंकि की अर्जुन के  छाल की तासीर ठंडी होती है।

बिच्छू के डंक से राहत दिलाता है

महर्षि वाग्भट्ट के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को बिच्छू डंक मार दे,और व्यक्ति को बहुत अधिक जलन और पीड़ा हो रही हो तो अर्जुन की छाल को पीसकर उसका लेप लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है।

अर्जुन की छाल ब्लडप्रेशर

आजकल के भागदौड़ भरी जिंदगी में ब्लडप्रेशर की समस्या होना एक आम बात हो गयी है। 
पहले यह यह समझा जाता था कि यह 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को होने वाली बीमारी है।
 लेकिन आज कल तो  यह बहुत कम उम्र के लोगों में भी देखा जा सकता है।
पूरी दुनिया में लगभग 1•3 विलियन लोग  ब्लडप्रेशर की समस्या से ग्रसित हैं।
यह आंकड़ा बताता है कि लोग किस तरह से इस महामारी से जूझ रहे हैं।
हृदय द्वारा पम्प किये गए खून के के कारण हृदय की धमनियों की दीवारों पर जो दबाव पड़ता है उस दबाव को रक्तचाप या ब्लडप्रेशर कहते हैं।
किसी भी व्यक्ति का सामान्य ब्लडप्रेशर 120/80 mmHg. होता है।जिसमें 120 को सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर और 80 को डायस्टोलिक ब्लडप्रेशर कहा जाता है।
लेकिन जब यही ब्लडप्रेशर बढ़कर 140/90 mmHg. हो जाय तो इसे हाई ब्लडप्रेशर या हाइपरटेंशन कहते हैं।
 हाई ब्लडप्रेशर की बीमारी को अर्जुन के पेड़ की छाल के प्रयोग से पूरी तरह से कंट्रोल किया जा सकता है।
तो आइये जानते हैं कि ब्लडप्रेशर की बीमारी में अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें।
इसके लिए 5 ग्राम अर्जुन की छाल 50 ml दूध और 100 ml पानी इन तीनों को मिलाकर इसे धीमी आंच पर इतना उबालें की  केवल 50 ml दूध ही शेष रह जाय अब इसे छानकर हल्का गुनगुना रहते ही पिये।

अर्जुन की छाल बालों के लिए

 लेकिन आज कल यह देखा जा रहा है कि बहुत ही कम उम्र में ही बाल सफेद हो रहे हैं।यदि आप भी ऐसी ही समस्या से परेशान हैं तो हम आप के लिए लेकर आये हैं एक बहुत ही आसान सा घरेलू नुस्खा जो सफेद हो रहे बालों को बिल्कुल काला कर देगा।
इसके लिए अर्जुन के पेड़ की छाल के पाउडर को मेंहदी के साथ मिलाकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

अर्जुन का पेड़ कैसे और कब लगाएं?

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अर्जुन के पेड़ को नदी सर्च भी कहते हैं।इसका पेड़ इतना विशाल होता है कि इसे वीर वृक्ष कहा जाता है। 
यदि आप अर्जुन के पेड़ को लगाना चाहते हैं, तो इसकी विशालता को देखते हुए इसे ऐसे स्थान पर लगाएं की जहां पर्याप्त खुला स्थान हो क्योंकि यह पेड़ 70 से 80 फुट ऊँचा होता है।
अर्जुन के पेड़ को लगाने से पहले गर्मी के दिनों में एक स्क्वायर मीटर का गड्डा खोदकर उसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें।
जिससे उसके अंदर के दीमक और अन्य हानिकारक कीड़े मकोड़े पूरी तरह से नष्ट हो जाय।
इसके बाद अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद और मिट्टी को बराबर मात्रा में मिलाकर उस गड्ढे को पूरी तरह से ढक दें।
 जुलाई और अगस्त के महीनें में किसी अच्छी नर्सरी से अर्जुन के पेड़ को लाकर उस गड्ढे में रोपित कर दें।

अर्जुन की छाल के नुकसान

जिन लोगों को लो ब्लडप्रेशर की शिकायत रहती है उन्हें अर्जुन की छाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्योंकि अर्जुन की छाल में ब्लडप्रेशर को कम करने का गुण पाया जाता है।
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अर्जुन के पेड़ की पहचान के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके हमें जरूर बताएं।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की Healthsahayata.in पुष्टि नहीं करता है, इनको केवल सुझाव के रूप में लें, इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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