हरसिंगार से गठिया का रामबाण इलाज | हरसिंगार का पत्ता के फायदे
हरसिंगार का दूसरा नाम पारिजात है।इसे कल्प बृक्ष भी कहा जाता है।
हरसिंगार एक औषधीय पौधा है।जो मनुष्य के जीवन में होने वाले वाले बहुत से रोगों को जड़ से दूर करने की क्षमता रखता है।
हरसिंगार से गठिया का इलाज किया जाता है।महाभारत में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के पूजा के लिए स्वर्ग से देवराज इंद्र से युद्ध करके लाये थे।
कहा जाता है कि तभी से यह हरसिंगार(पारिजात)का पौधा इस धरती पर विद्यमान है।
पारिजात का पौधा भारत में लगभग सभी जगहों पर पाया जाता है।लेकिन ज्यादातर असम,राजस्थान,मध्यप्रदेश, बंगाल और गुजरात में पाया जाता है।
यह पौधा 10 से 15 फीट ऊंचा होता है।इसमें सफेद रंग के पुष्प खिलते हैं।और इसके फूल के बीच का भाग नारंगी होता है।
पारिजात के फूल रात में खिलते हैं इसलिए इसे रात रानी या नाइट जैस्मिन भी कहा जाता है।
आज के इस लेख में आप जानेंगे कि हरसिंगार के छाल, पत्ते और फूल का उपयोग किन-किन बीमारियों को दूर करने के लिए किस प्रकार से किया जाता है।
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लेकिन सबसे पहले आप जानेंगे कि हरसिंगार से गठिया (आर्थराइटिस)का इलाज कैसे किया जाता है।
गठिया (Arthritis ) में हरसिंगार के फायदे – Harsingar leaves for Arthritis
गठिया(अर्थराइटिस)बहुत ही कष्टदायक रोग है।एक बार यदि किसी को यह रोग हो जाता है तो उस मनुष्य को सामाजिक,शारीरिक आर्थिक और मानसिक कष्ट भोगना पड़ता है।
यह रोग कमर,गर्दन,कन्धा,घुटना,कलाई यहाँ तक कि हाथ की अंगुलियों तक को प्रभावित कर सकता है।
गठिया रोग होने पर जोड़ो में यूरिक एसिड जमा होने लगता है जिसके कारण जोड़ो में सूजन आ जाती है।और अंगुलियां टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं।
अर्थराइटिस का एलोपैथिक में कोई परमानेंट इलाज नहीं है केवल दवाइयों को खाकर सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है।
जिसके लिए पूरी उम्र दवाइयां खाना पड़ता है।लेकिन आयुर्वेद में हरसिंगार से गठिया रोग को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
पारिजात बृक्ष की पहचान
पारिजात का बृक्ष अपने मनमोहक खुशबू और दिव्य औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है।पारिजात के बृक्ष में सफेद रंग के फूल खिलते हैं और उस फूल के बीच का भाग नारंगी रंग का होता है।
पारिजात के बृक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके फूल रात में खिलते हैं।और सुबह होते ही गिर जाते हैं।
हरसिंगार से (अर्थराइटिस)गठिया का इलाज -Harsingar use in arthritis
पारिजात के पौधे के पत्ते से वर्षों पुराना गठिया (अर्थराइटिस)के रोग को ठीक किया जा सकता है।
क्योंकि हरसिंगार में बेन्जोइक एसिड,एस्कार्बिक एसिड,ग्लोकोज,कैरोटीन जैसे अर्थराइटिस को दूर करने वाले पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
जो जोड़ो में जमा यूरिक एसिड को बाहर निकाल कर जोड़ो के दर्द और सूजन को ठीक करने में सहायता करते हैं।
हरसिंगार में इसके अलावा कुछ अन्य बीमारियों जैसे मियादी बुखार,मलेरिया बुखार,सियाटिका ,सर्दी खाँसी,पेट के कीड़े आदि रोगों को दूर करने की क्षमता होने के कारण इसे बहुत ही गुणकारी माना जाता है।
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गठिया में हरसिंगार की पत्तियों का प्रयोग कैसे करें- How to use Harsingar leaves for joint pain
गठिया रोग(अर्थराइटिस) में हरसिंगार की 5 से 6 पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें।और उस पेस्ट को आधा लीटर पानी में डालकर तब-तक उबालें जब तक पानी एक चौथाई न हो जाय उसके बाद उसे छानकर रोज सुबह खाली पेट उसका सेवन करें।
कुछ ही दिनों के लगातार प्रयोग से जोड़ो के दर्द और सूजन में राहत मिलने लगेगी।
इसका स्वाद थोड़ा कसैला होता है इस लिए धीरज के साथ इसका प्रयोग करें।
हरसिंगार का पत्ता के फायदे
हरसिंगार एक दिव्य औषधीय पौधा है।जिसके पत्ता का प्रयोग बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जा सकता है।पारिजात का पत्ता का प्रयोग निम्नलिखित बीमारियों को दूर करने के लिए किया जा सकता है।
दाद में हरसिंगार का पत्ता के फायदे
पारिजात के पत्ते से शरीर में होने वाले दाद को ठीक किया जा सकता है।
इसके लिए पारिजात के पत्ते को पीसकर उसका रस निकाल लें।उस रस को दाद वाले स्थान पर लगाने से दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
डायबिटीज में हरसिंगार के पत्ते के फायदे
रोज सुबह खाली पेट पारिजात के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से डायबिटीज रोग कंट्रोल में रहता है।
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पेशाब की बीमारी में हरसिंगार के पत्ते के फायदे
जो लोग बार-बार पेशाब आने की बीमारी से ग्रस्त हैं उनके लिए पारिजात के पत्ते,फूल और जड़ का काढ़ा पीने से बार-बार पेशाब आने की समस्या में लाभ होता है।
इसके लिये परिजात का पत्ता,फूल और जड़ को एक साथ मिलाकर आधा लीटर पानी में तब तक उबालें जब-तक पानी एक चौथाई न हो जाय इसके बाद उसे छानकर 30मिली कि मात्र में सेवन करें।
पेट के कीड़े में हरसिंगार के पत्ते के फायदे
जिन लोगों को पेट में कीड़े होने की समस्या होती है उनके लिए पारिजात का पत्ता बहुत ही लाभकारी होता है।
इसके लिए पारिजात के पत्ते को पीसकर उसका रस निकाल लें।और उस रस में मिश्री को मिलाकर 10 मिली कि मात्रा में सेवन करने से पेट की आंत के कीड़े निकल जाते हैं।
मलेरिया,टाइफाइड,डेंगू ज्वर में हरसिंगार के पत्ते के फायदे
मलेरिया,टाइफाइड और डेंगू जैसे घातक ज्वर में भी पारिजात के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत दिनों का पुराना ज्वर भी ठीक हो जाता है।
खाँसी में हरसिंगार के पत्ते के फायदे
बहुत दिनों से आने वाली सूखी खांसी में पारिजात के पत्ते के रस को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से खाँसी ठीक हो जाती है।
सायटिका रोग में हरसिंगार के पत्ते के फायदे
इसे ग्रिघसी रोग भी कहते हैं।इस रोग में कमर से लेकर पैर की एड़ी तक की टेंडन पेशी में सूजन या खिंचाव आ जाता है।जिसके कारण रोगी का चलना – फिरना मुश्किल हो जाता है।पारिजात के पत्ते का सेवन करने से सायटिका रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
इसके लिए पारिजात के 6 से 7 पत्ते को लेकर उसका पेस्ट बना लें और उस पेस्ट को 250 मिली पानी में उबालें जब पानी आधा रह जाय तब उसे छानकर रोज सुबह खाली पेट सेवन करें। कुछ ही दिनों के इस प्रयोग से सायटिका रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
आज के इस लेख में आपने जाना कि हरसिंगार से गठिया का इलाज कैसे किया जाता है।हमें आशा है कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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